लोगों को फिटनेश के प्रति जागरुक करने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने सोशल मीडिया अकाउंट में ट्रेड मिल पर तेज चलने का वीडियो पोस्ट किया है। जिसमें वे एक विदेशी श्वान के पप्पी को दोनों हाथों से पकडक़र ट्रेड मिल पर संतुलन साधते हुए साड़ी पहनकर तेज चल रही हैं।
महानगर कोलकाता के उपनगर लेकटाउन में रविवार की शाम भीषण आग लग गई। बांगुर एवेन्यू ऑटो स्टैंड के विपरीत पेट्रोल पंप के पास बहुमंजिली इमारत में लगी आग ने देखते ही देखते भयावह रूप ले लिया।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी यौन उत्पीडऩ के खिलाफ दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पहलवानों के समर्थन में उतर गई हैं। उन्होंने कहा कि दोषी चाहे किसी भी पार्टी के हों उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए और न्याय को प्रमुखता दी जाए।
इंट्रीग्रेटेड चेक पोस्ट पेट्रापोल में तैनात बीएसएफ की सतर्क महिला जवानों ने बांग्लादेशी महिला तस्कर की कोशिश नाकाम करते हुए कमर में बांध कर लाए जा रहे सोने की बड़ी खेप बरामद करने में सफलता हासिल की है।
तटरक्षक बल की ओर से राज्य के समुद्री तट पर विभिन्न विभागों और सुरक्षा एजेंसियों को साथ लेकर किया गया सुरक्षा अभ्यास सागर कवच सम्पन्न हो गया। 25 अप्रेल से शुरू हुए दो दिनों तक चले अभियान में भारतीय नौसेना, बीएसएफ, समुद्री पुलिस, पश्चिम बंगाल पुलिस, सीआइएसएफ, वन विभाग, मत्स्य विभाग, सीमा शुल्क, हल्दिया डॉक कॉम्प्लेक्स, एमएमडी और विभिन्न खुफिया एजेंसियां शामिल थीं।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा विरोधी गठजोड़ को मजबूत बनाने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सोमवार को पश्चिम बंगाल पहुंचे। जदयू नेता नीतीश व राजद नेता तेजस्वी ने यहां तृणमूल सुप्रीमो और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से राज्य सचिवालय नवान्न में आधे घंटे की बैठक की।
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि भाजपा पश्चिम बंगाल में हिटलर जैसा शासन नहीं चलने देगी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने बाद भतीजे को राज्य के मुख्यमंत्री के पद पर देखना चाहती हैं। भाजपा उनका यह सपना पूरा नहीं होने देगी।
दीमापुर हो या कोहिमा, मोन हो या घासपानी नगालैंड में कहीं भी व्यापार करने के लिए एक नहीं दो नहीं 14-17 यूजी या पार्टियों को रंगदारी देनी पड़ती है। कौन हैं ये यूजी या पार्टियां कौन हैं इसके प्रधान जिनपर कार्रवाई का वायदा पीएम नरेन्द्र मोदी को भी नगालैंड आकर करना पड़ता है।
नब्बे के दशक के आखिर में जब उग्रवादी गतिविधियां बढ़ गईं, यहां रहने वाले कई प्रवासी समाज के लोग दीमापुर भी छोड़ने लगे तब भी मारवाड़ी समाज डटा रहा। राष्ट्रनिर्माण के कार्य में लगा रहा।