जयपुर. सामूहिक क्षमापना के दिन जैन समाज की ओर से पूरे प्रदेश में विभिन्न जैन मंदिरों में कई कार्यक्रम हुए। ऐसे में दसलक्षण पर्व का महत्व बताते हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम का मंचन किया गया। इसी में से एक चुनिन्दा सामूहिक क्षमापना की सांस्कृतिक प्रस्तुति समाज में क्षमा भाव को ध्यान में रखते हुए प्रस्तुत की गई। गीत-संगीत के बीच प्रस्तुत एक बानगी। इसमें सभी जीवों से क्षमा मांगी गई। सभी जीव मुझे क्षमा करें संसार के सभी जीवों से मेरी मैत्री है, मेरा किसी से वैर विरोध नहीं है। मैं अपने पापों की आलोचना करता हूं। निन्दा, जुगुप्सा और गर्हा द्वारा मन-वचन-काया से प्रतिक्रमण कर पापों से निवृत्त होकर चौबीसी तीर्थंकर परमात्मा को वंदना व नमस्कार किया गया।