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शिक्षक स्वयं को दायित्व और नैतिकता के मानदंडों पर खरा उतरेः कुलपति

locationगोरखपुरPublished: Jan 21, 2018 04:49:41 am

’दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विवि में आई क्यू ए सी की कार्यशाला’

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गोरखपुर। शिक्षा एवम् शिक्षकों के मूल्यांकन की सभी प्रणालियों का उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था में उच्चस्तरीय गुणवत्ता लाना ही है। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था के बगैर कोई देश प्रगति के लक्ष्यों को प्राप्त नही कर सकता।
कुलपति प्रो. विजयकृष्ण सिंह ने यह विचार व्यक्त किए। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विवि के आंतरिक गुणवत्ता सुनिश्चियन प्रकोष्ठ (आईक्यूएसी) के तत्वाधान में आयोजित कार्यशाला को वह संबोधित कर रहे थे।
प्रो. सिंह ने कहा कि ये सभी प्रणालियां तकनीकी रूप से मनन करके बनाई गई हैं लेकिन यदि शिक्षक स्वयं को दायित्व और नैतिकता के मापदंडों पर खरा रखने के लिए सचेष्ट रखे तो इससे बेहतर कुछ और नही हो सकता।
नैक मूल्यांकन तथा एकेडमिक ऑडिट विषय पर आयोजित इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय शिक्षकों, राजकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यों तथा विभिन्न महाविद्यालयों में आईक्यूएसी के प्रभारी आचार्यों को विशेषज्ञों द्वारा जानकारी दी गई ।
कार्यशाला में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय के आईक्यूएसी निदेशक डॉक्टर हेमशंकर वाजपेई ने कहा कि जुलाई 2017 में नैक मूल्यांकन संबंधी नियमों में आंशिक परिवर्तन तथा समग्र मूल्यांकन प्रणाली में शिक्षकों के एकेडेमिक ऑडिट विवरण में अब व्यक्तिगत रूप से शिक्षकों का स्वयं जागरूक तथा निपुण होना आवश्यक है। यह कार्यशाला इसी उद्देश्य से आयोजित की गई है ताकि शिक्षक स्वयं इसके बारीकियों से अवगत हो सके।
कार्यशाला की प्रथम प्रस्तुति राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा)उत्तर प्रदेश के पूर्व उप निदेशक डॉक्टर आलोक कुमार श्रीवास्तव द्वारा की गई। डॉक्टर श्रीवास्तव ने विस्तार से नैक की परिवर्तित मूल्यांकन प्रणाली के विषय में बताया तथा उन बिंदुओं पर प्रतिभागियों को जानकारी दी जो पूर्व की मूल्यांकन प्रणाली की तुलना में नए है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों विशेषकर महाविद्यालयों के आई क्यू ए सी प्रभारियों से अनुरोध किया कि वे परिवर्तित नियमों के अनुसार अपनी तैयारियां शुरू कर दें।
कार्यशाला की द्वितीय प्रस्तुति क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी तथा मूल्यांकन प्रणाली विशेषज्ञ डॉक्टर अश्विनी कुमार मिश्रा द्वारा की गई जिन्होंने एकेडमिक ऑडिट प्रणाली के बारे में अत्यंत जानकारी पूर्ण और रोचक वक्तव्य दिया। उन्होंने एकेडमिक ऑडिट प्रणाली के सभी बिंदुओं के विषय में विस्तार से जानकारी देते हुए प्रतिभागियों को इस बारे में भी सूचित किया कि कैसे मांगी गई सूचनाओं को पहले से ही संकलित और तैयार किया जा सकता है । दोनों प्रस्तुतियों के बाद एक प्रश्न सत्र का भी आयोजन किया गया जिसमें अनेक शिक्षकों ने अपनी जिज्ञासाओं और प्रश्नों का समाधान प्राप्त किया ।
कार्यक्रम का संचालन विवि आई क्यू ए सी के सदस्य तथा रक्षा अध्ययन विभाग के आचार्य प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा ने किया। कार्यशाला में अनेक अधिष्ठताओं और विभागाध्यक्षों सहित बड़ी संख्या में शिक्षक उपस्थित रहे।
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