पेट्रोल के बढ़ते दामों के बीच सीएनजी बन सकती है गेम-चेंजर
- देश के कुछ हिस्सों में पेट्रोल ने पार किया 100 रुपये का आंकड़ा।
- प्रति किलोमीटर रनिंग कॉस्ट के मामले में सीएनजी वाहन ज्यादा वाजिब।
- शुरुआती कीमत में आने वाला अंतर कुछ ही वर्षों में करेगा भरपाई।

नई दिल्ली। ईंधन के बढ़ते दामों के बीच एक कार का माइलेज एक बार फिर यह तय करने में एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में उभरा है कि क्या इसे कार खरीदने के लिए व्यावहारिक सोच के रूप में लेना चाहिए या नहीं। ऑटोमोबाइल सेगमेंट के बड़े बाजार में खरीदारों के लिए, ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी अब इस बात का एक बड़ा कारण हो सकता है कि कार की खरीदारी की योजना को आगे के लिए टाल दिया जाए। हाल के हफ्तों में पेट्रोल की कीमतें डीजल की दरों के साथ नई ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। और जबकि कार चलाने के सबसे बेहतरीन तरीकों को अक्सर ईंधन बचाने के तरीके के रूप में देखा जाता है, फिर भी व्यक्तिगत वाहनों में प्रति किलोमीटर चलने की लागत पहले की तुलना में काफी महंगी हो गई है। ऐसे वक्त में CNG एक बार फिर तुलनात्मक रूप से अधिक किफायती विकल्प को देखने वालों के लिए एक व्यवहार्य ईंधन विकल्प के रूप में सामने आया है।
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यों तो आमतौर पर एक सीएनजी वाहन की शुरुआती लागत ज्यादा होती है। जहां फैक्ट्री फिटेड सीएनजी किट की कीमत 50,000 से 60,000 रुपये के बीच पड़ती है, अधिकृत केंद्रों में यह करीब 40,000 रुपये में लग जाती हैं। सीएनजी का सिलेंडर एक छोटी कार के बूटस्पेस की तकरीबन ज्यादातर जगह ले लेता है जबकि एक सेडान के बूटस्पेस का अधिकांश स्थान भी बंद कर देता है। इसके अलावा पर्फामेंस में गिरावट भी एक और मुद्दा है।
हालांकि, बूटस्पेस में कमी और पर्फामेंस में गिरावट के बावजूद यह सौदा बुरा नहीं है बल्कि बेहद फायदेमंद है।

राजधानी दिल्ली में करीब 43 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिकने वाली सीएनजी में एक कार करीब 20 किलोमीटर की दूरी तय कर लेती है। यह 2 रुपये प्रति किलोमीटर से थोड़ा ज्यादा है। इसकी तुलना में दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल 90.58 रुपये का है, और अगर मान लिया जाए कि एक कार एक लीटर में 20 किलोमीटर चलती है, तो अभी भी पेट्रोल से इसके चलने की कीमत 4 रुपये प्रति किलोमीटर से ज्यादा है।
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दो कारें-एक सीएनजी पर और दूसरी पेट्रोल पर- एक दिन में लगभग 50 किलोमीटर चलने पर इसकी लागत में अंतर होगा। कुछ वर्षों में सीएनजी लगवाने की लागत की वसूली की पूरी संभावना है।
बूटस्पेस का मुद्दा एक ध्यान खींचने वाली वजह है, लेकिन कई ने सामान रखने के लिए रूफ रेल को चुना है। और नई तकनीक के साथ सीएनजी और पेट्रोल/डीजल वाहनों के बीच पर्फामेंस में अंतर बेहद मामूली हो गया है, भले ही यह अभी भी मौजूद है। फिर एक तथ्य यह भी है कि सीएनजी वाहन में उत्सर्जन का स्तर कम है क्योंकि यह एक ग्रीन फ्यूल वाहन है।

जब फैक्ट्री फिटेड CNG किट देने की बात आई तो मारुति और हुंडई जैसी कंपनियों ने काफी बढ़त हासिल की है। हालांकि इन किटों की कीमत बाहर के बाजार में भुगतान से ज्यादा हो सकती है, लेकिन वारंटी, बढ़ी हुई सुरक्षा और परेशानी-मुक्त सेवा अनुभव का लाभ तो साथ मिलना बड़े फायदे का सौदा है।
जैसे, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट के बिल्कुल संकेत नहीं दिख रहे हैं, मोटर वाहन ईंधन के रूप में सीएनजी की प्रासंगिकता पहले से कहीं अधिक हो सकती है।
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