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कोटेश्वर महादेव मंदिर का अस्तित्व खतरे में

locationधारPublished: Jul 04, 2016 12:19:00 am

Submitted by:

Gitesh Dwivedi

पुरातत्व विभाग नहीं दे रहा ध्यान, 14वीं शताब्दी का है मंदिर

Dhar Photo 2

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कोद. धार जिले की बदनावर तहसील के जलोदखेता पंचायत के अंतर्गत कोटेश्वर धाम मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है। पुरातत्व विभाग के द्वारा मंदिर की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मंदिर अपने जीर्णोद्धार की बाट काफी समय से जोह रहा है। बताया जाता है कि मंदिर 14 वीं शताब्दी के अंतर्गत उल्लेख किया है। मंदिर के आसपास क्षेत्र सहित हजारों लोगों की आस्था का केंद्र बिंदु माना जाता है। यहां पर 12 मास व सावन मास में हजारों की संख्या में दर्शनार्थी जल चढ़ाने पहुंचते हैं। साथ ही अन्य पर्व अमावस्या व पूर्णिमा आदि त्योहारों पर यहां पर भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। यहां पर कार्तिक पूर्णिमा पर पांच दिवसीय मेले का आयोजन भी जनपद पंचायत बदनावर के द्वारा किया जाता है, जिसमें मनोरंजन के साधनों के साथ में कई प्रकार की दुकानें भी लगती है।
सीढिय़ां काफी दयनीय स्थिति में
मंदिर की ओर जाने वाली सीढिय़ां काफी दयनीय स्थिति में है। पिछले वर्ष बारिश के समय पानी के वेग में पूर्ण रूप से बह चुकी थी। पुरातत्व विभाग ने यहां पर दर्शनार्थियों को सूचित करने के लिए बोर्ड भी लगा रखा है, लेकिन 1 वर्ष से भी ज्यादा समय बीत जाने के बाद यहां पर किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य और रखरखाव पुरातत्व विभाग के द्वारा नहीं किया गया। मार्ग बह जाने के बाद बदनावर अनुविभागीय अधिकारी एकता जायसवाल ने मंदिर पहुंचकर मौका मुआयना कर जल्द ही मार्ग को दुरस्त करने का आश्वासन आम नागरिकों एवं श्रद्धालुओं को दिया था। इसके बाद भी यहां पर स्थिति जस की तस बनी हुई है। यहां के श्रद्धालुओं में काफी निराशा है। इसी विषय में कलेक्टर श्रीमन शुक्ला से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि मामले को लेकर के मैं दिखवाता हूं।
चिंता का विषय
कोटेश्वर महादेव मंदिर की सीढिय़ां पिछले वर्ष बारिश में बह चुकी थी, जिसको लेकर के यहां पर प्रशासन के द्वारा किसी भी प्रकार का रखरखाव कार्य एवं निर्माण कार्य नहीं किया गया। यहां के आसपास क्षेत्र के श्रद्धालुओं में चिंता का विषय बन चुका है।
-दिनेश मकवाना,श्रद्धालु
कोटेश्वर महादेव मंदिर 14 वीं शताब्दी में बनाया गया था। इसके बाद में 16 व 17 वीं शताब्दी में पुन: निर्माण किया गया था, जिसके बाद में पुरातत्व विभाग के द्वारा यहां पर मंदिर कि ओर किसी भी प्रकार का ध्यान नहीं दिया गया। मंदिर काफी दयनीय स्थिति में है।
– संदीप पाटीदार, श्रद्धालु
पुरातत्व के अधीन
मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है। मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए शासन को जानकारी भेज दी गई है। शासन से अनुमति मिलने के बाद मंदिर का जीर्णोद्धार एवं समाधि स्थल का कार्य किया जाएगा।
-धीरेंद्र शुक्ला, इंजीनियर
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