कटनी. भाजपा के सीनियर कार्यकर्ता नवल किशोर गट्टानी ने पार्टी के अंदर चल रही क्रियाकलाप पर सोशल मीडिया पोस्ट पर कहा कि भाजपा जिलाध्यक्ष पीतांबर टोपनानी ने व्यक्ति विशेष को खुश करने के लिए पदों की बंदरबांट की। ऐसे कार्यकर्ता जो पार्टी में 6 माह पहले ही आए थे, उन्हे पदाधिकारी बनाकर वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की। गट्टानी ने पोस्ट पर कहा कि पदाधिकारी बनाए गए लोगों में अधिकांश अपराधिक प्रवृत्ति के हैं, चारित्रिक रिकार्ड भी सही नहीं है। एक व्यक्ति को कई पदों पर बार-बार उपकृत किया जा रहा है। दस पदाधिकारियों को चिन्हित कर रेवड़ी की तरह पद बांटा गया। सोशल मीडिया में आई इस पोस्ट के बाद राजनीतिक हल्कों में खलबली मची है। जुगाड़ से पद हथियाने वाले कार्यकर्ता भी सकते में हैं। गट्टानी ने पत्रिका से बातचीत में स्वीकार किया कि उन्हे कहीं से कंटेंट मिली थी, जिसे सोशल मीडिया में पोस्ट की है। उन्होंने बताया कि पार्टी में चल रही गतिविधि से वरिष्ठ पदाधिकारियों को भी अवगत कराते के लिए यह पोस्ट भेजी है। खासबात यह है कि पोस्ट में गट्टानी ने व्यक्ति विशेष को खुश करने की बात कही है। इस पर चर्चा है कि कुछ साल पहले कांग्रेस से भाजपा में जिले के कद्दावर नेता को खुश करने भाजपा जिलाध्यक्ष ने पदाधिकारी चयन में पार्टी के जुझारु नेताओं की उपेक्षा की है।
सीनियर कार्यकर्ता नवल किशोर गट्टानी ने सोशल मीडिया में अपलोड पोस्ट पर तीन महामंत्री की नियुक्त पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि एक तो कांग्रेस से व्यक्ति विशेष के साथ दो वर्ष पूर्व भाजपा में प्रवेश किया था। प्रवेश के बाद निचले स्तर पर पार्टी में कोई दायित्व नहीं मिला और सीधे जिला में महामंत्री बना दिया गया।
जिलामंत्री बनाए गए एक कार्यकर्ता को लेकर कहा कि वह तो ट्रैक्टर चोरी में पकड़ा गया था और पुलिस रिकार्ड में आदतन अपराधी है, फिर भी पार्टी में पद दिया गया। एक कार्यकर्ता जो१५ साल से भोपाल में रहते हुए जिले में निष्क्रिय हैं फिर भी जिलामंत्री बना दिया गया।
वायरल पोस्ट में लिखा है कि पीतांबर टोपनानी मार्च 2010 में संगठन चुनाव के विरोध में उतरे और भाजपा के विरोध में नारे लगाए थे। इतना ही नहीं युवा मोर्चा द्वारा पीतांबर ही सहमति से ही कुछ दिन पहले रेत व्यापारियों का हाइवा रोककर अवैध वसूली की थी। अगर ऐसा नहीं था कि मीडिया में खबरें आने के बाद बतौर जिलाध्यक्ष युवा मोर्चा के संबंधित पदाधिकारियों पर कार्रवाई होनी थी।
– जो अपने आप को पार्टी का सीनियर कार्यकर्ता कहते हैं उन्हे सोचना चाहिए कि उनकी क्रियाक्रलाप से पार्टी को नुकसान होगा या फायदा। अपनी बात वो सोशल मीडिया के बजाए पार्टी में सही मंच पर रख सकते थे। शायद उन्हे पार्टी के उपर बैठे पदाधिकारियों पर भरोसा नहीं है। किसी का टूल बन कर
काम नहीं करना चाहिए।
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