निर्देशानुसार सरकार के इस डेटाबेस में वाहनों का जानकारी मेनटेन करना बेहद ही जरूरी होगा। सरकार ने 4 अक्टूबर को जारी आदेश को एक महीने में पूरा करने को कहा है। दरअसल इस फैसले का मुख्य उद्देश्य वाहनों की चोरी पर लगाम लगाना है। ये है सिक्योरिटी नंबर प्लेट एक जीपीएस चिप से लैस है जिसकी मदद से गाड़ियों को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है। अगर गाड़ी चोरी भी होती है तब भी आसानी से इनका पता लगाया जा सकता है।
आपको बता दें कि GPS से लैस इस नंबर प्लेट को पुलिस कंट्रोल रूम और RTO बड़ी आसानी से ट्रैक कर सकता है। इसके साथ ही इस है इस है सिक्योरिटी नंबर प्लेट में लेजर मार्क और होलोग्राम भी दिए जाएंगे जिनकी मदद से गाड़ियों की की चोरी पर लगाम लगाईं जा सकती है।
आपको बता दें कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने पिछले साल दिसंबर में अप्रैल 2019 से सिर्फ हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट वाली गाड़ियों की बिक्री का आदेश सुनाया था। इस आदेश के मुताबिक़ कंपनियां हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट अपने डीलर्स को उपलब्ध कराएंगी। डीलरशिप पर ही इन गाड़ियों में हाई सिक्योरिटी नंबरप्लेट मिल जाएगा और अगर ये वाहन ग्राहकों के पास से चोरी होते हैं तो इन्हें आसानी से पुलिस स्टेशन और आरटीओ से ट्रैक किया जा सकता है।