अगर आप अपनी कार को 20-40 किलोमीटर रोजाना चलाना चाहते हैं तो आपके लिए पेट्रोल कार ठीक रहेगी लेकिन अगर यही 60-80 किलोमीटर रोजाना है तो फिर आपको डीजल कार खरीदनी चाहिए। आइए जरा यहां समझते हैं इस कैलकुलेशन को कि क्यों होता है एेसा?
जब से डीजल के दामों में हर महीने 0.50 पैसे बढ़ाने का निर्णय लिया गया है तब से पेट्रोल आैर डीजल के दाम लगभग समान हो चले हैं। पेट्रोल के आैर डीजल के दामों में केवल 8 रुपए प्रति लीटर का फासला रह गया है।
चेन्नर्इ में पेट्रोल 70-75 रुपए प्रति लीटर तो डीजल 63-65 रुपए प्रति लीटर उपलब्ध है। डीजल के दाम बढ़ने के क्या हुए नुकसान? डीजल कारों की कम रनिंग काॅस्ट ही उनका मुख्य सेलिंग पाॅइंट थी। डीजल कार बेहतर माइलेज देती थी आैर डीजल की कम कीमत होना इसके लिए जिम्मेदार था। मगर डीजल के दाम बढ़ने के कारण डीजल कारों के प्रति लोगों का आकर्षण अब कम हो चला है।
पेट्रोल कारों के मुकाबले डीजल कारों से मिलने वाला आॅपरेटिंग काॅस्ट एडवाॅन्टेज जनवरी 2012 के 50 प्रतिशत से घटकर अब केवल 30 प्रतिशत पर आ गया है। पहले ज्यादातर लोग डीजल कार इसलिए लेना पसंद करते थे क्योंकि इसकी उनको अच्छ रिसेल कीमत मिलती थी लेकिन अब एेसा नहीं है। ग्राहक अब पेट्रोल कारों को डीजल कारों पर तरजीह देने लगे हैं। कम ग्राहक मिलने का नतीजा यह हुआ कि डीजल कारों को अब पहले जितनी अच्छी कीमत भी नहीं मिल पा रही है।
इसके अलावा डीजल कारों की मेंटेनेंस आैर इंश्योरेंस पर होने वाले खर्चे पहले के मुकाबले ज्यादा बढ़ गए हैं। इसलिए जो ग्राहक रोजाना केवल 40 किलोमीटर तक ही कार ड्राइव करना चाहते हैं उनके लिए पेट्रोल कार ही बेहतर रहेगी।
हालांकि अगर आप अपनी कार को रोजाना 60 या इससे ज्यादा किलोमीटर चलाना चाहते हैं तो आज भी डीजल कार आपके लिए फायदेमंद साबित होगी। ज्यादा दूरी तय करने के लिए डीजल कार आज भी पेट्रोल कार से बेहतर है।