scriptश्री राम की प्रतिमा के लिए उजड़ सकता है 300 परिवारो की गृहस्थी | 300 family members can destroy the idol of Shri Ram | Patrika News

श्री राम की प्रतिमा के लिए उजड़ सकता है 300 परिवारो की गृहस्थी

locationअयोध्याPublished: Jan 27, 2020 07:59:39 pm

Submitted by:

Satya Prakash

श्रीराम प्रतिमा लगाने को लेकर प्रशासन के नोटिफिकेशन में किसानों के नाम गायब

श्री राम की प्रतिमा के लिए उजड़ सकता है 300 परिवारो की गृहस्थी

श्री राम की प्रतिमा के लिए उजड़ सकता है 300 परिवारो की गृहस्थी

अयोध्या : राम नगरी अयोध्या में भगवान श्री राम की प्रतिमा लगाने को लेकर चिन्हित की गई भूमि से 300 परिवारों के लिए वनवास जैसी स्थिति बन सकती है। तो वहीं दूसरी तरफ यह सभी परिवार अब कोर्ट की शरण में भी जा सकते हैं।
त्रेता काल में माता कैकेई के हठ के चलते राम को राजपाट छोड़ बनवास को जाना पड़ा था लेकिन कलयुग में राम नगरी में राम की खातिर सैकड़ों लोग बनवासी होने के रास्ते पर हैं। क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट विश्व की सबसे ऊंची श्री राम की मूर्ति लगाने के लिए चिन्हित की गई माझा बरहटा के 300 परिवारों पर जमीन के अधिग्रहण का ग्रहण लगता नजर आ रहा है। दर्शन जिस भूमि भरोसे यह परिवााार अपना कर रहा है वह कागजों मेंं किसी और के नाम से दर्ज है जिनसे कारण यदि अधिग्रहण हुआ तो उन्हें कुछ भी हासिल नहीं होगा।
बताते चलते हैं कि राम नगरी में विश्व की सबसे ऊंची 251 मीटर की मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की मूर्ति लगनी है। पहले यह मूर्ति नयाघाट के बगल फोरलेन सरयू पुल और राजघाट रेलवे पुल के बीच मीरापुर दोआबा क्षेत्र में प्रस्तावित थी लेकिन तकनीकी दिक्कतों के चलते प्रदेश सरकार को सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट को मीरापुर द्वाबा से स्थानांतरित करना पड़ा। अब प्रदेश सरकार ने गयापुर द्वाबा की सीमा पर माझा बरेहटा की 86 हेक्टेयर जमीन पर श्री राम की विशाल प्रतिमा और डिजिटल म्यूजियम तथा फूड प्लाजा आदि बनाने के लिए स्वीकृत दी है।कवायद के तहत जिला प्रशासन की ओर से जमीन अधिग्रहण को लेकर आपत्ति हासिल करने को गजट नोटिफिकेशन कराया गया है। योजना के तहत क्षेत्र के 260 किसानों की जमीन ली जानी है। जिनसे गजट नोटिफिकेशन में जिला प्रशासन ने आपत्ति मांगी है। हालांकि इस क्षेत्र में ऐसे तमाम परिवार हैं जो जमीन पर दशकों से खेती-बाड़ी तो कर रहे हैं लेकिन जमीन पर मालिकाना हक राजस्व विभाग के कागजातों में इनके नाम दर्ज नहीं है। स्थानीय लोग बताते हैं कि कई वर्षों पूर्व महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ की ओर से भारी तादात में क्षेत्र में जमीन की खरीद की गई थी इसी दौरान उनकी ओर से खेती बाड़ी की जा रही जमीन के कागजात की लिखा पढ़ी रजिस्ट्री कार्यालय में महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ के पक्ष में हो गई। वह लोग अभी जमीन पर खेती-बाड़ी कर रहे हैं लेकिन कागज में मालिकाना हक नहीं है। इसी के चलते जिला प्रशासन की ओर से जारी किए गए गजट नोटिफिकेशन में भी इन लोगों का जिक्र नहीं किया गया है। जबकि इन परिवारों के भरण-पोषण का माध्यम बनी जमीन सरकार की ओर से अधिग्रहित की जानी है। पीड़ित सैकड़ो परिवारों ने बैठक कर हालात पर चर्चा की ओर शासन प्रशासन तथा अदालत के माध्यम से पुनर्वास की व्यवस्था हासिल करने का निर्णय लिया है।
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