scriptअक्षय नवमी तिथि पर शुक्रवार की सुबह अयोध्या में शुरू होगी 14 कोसी परिक्रमा 2018 | Akshaya Navami 14 Kosi Parikrma 2018 In Ayodhya Mahatva Date Time | Patrika News

अक्षय नवमी तिथि पर शुक्रवार की सुबह अयोध्या में शुरू होगी 14 कोसी परिक्रमा 2018

locationअयोध्याPublished: Nov 15, 2018 02:24:22 pm

ऋग्वेद में भी वर्णित है परिक्रमा का महत्व,20 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे अयोध्या

Akshaya Navami 14 Kosi Parikrma 2018 In Ayodhya Mahatva Date Time

अक्षय नवमी तिथि पर शुक्रवार की सुबह अयोध्या में शुरू होगी 14 कोसी परिक्रमा

अयोध्या : अक्षय नवमी तिथि पर इस वर्ष 16 नवम्बर की सुबह 7 बजे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन नगरी अयोध्या के चतुर्दिक 14 कोस की परिधि में होने वाली 14 कोसी परिक्रमा की सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं | शुक्रवार 16 नवंबर की सुबह अक्षय नवमी तिथि पर रामनगरी अयोध्या के सरयू तट से लाखों की संख्या में भक्त श्रद्धालु अपनी परिक्रमा शुरू करेंगे | प्रतिवर्ष होने वाले इस आयोजन को लेकर सभी ज़रूरी इंतजाम कर लिए गए हैं | परिक्रमा मार्ग की सफाई प्रकाश व्यवस्था से लेकर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गए हैं और पूरा जिला प्रशाशन से आयोजन को सकुशल संपन्न कराने के लिए जुट गया है | अयोध्या में अक्षय नवमी तिथि पर होने वाली इस 14 kosi परिक्रमा का विशेष महत्व है इसीलिए प्रतिवर्ष तीस लाख से अधिक श्रद्धालु इस आयोजन में शामिल होते हैं | पौराणिक मान्यता है कि अक्षय नवमी को किये गए दान पुन्य और अनुष्ठान का फल अक्षय अर्थात कभी समाप्त नहीं होता इसलिए प्रतिवर्ष इस आयोजन में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं |
परिक्रमा या संस्कृत में प्रदक्षिणा शब्द का अर्थ है प्रभु की उपासना, अपने मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए श्रद्धालु चाहे वह किसी धर्म का हो ,मंदिर गुरुद्वारे और मस्जिदों की परिक्रमा करते हैं ,इसमें उस स्थान की परिक्रमा की जाती है जिसके मध्य में देवी देवता की कोई प्रतिमा या कोई ऐसी पूज्य वस्तु रखी होती है जिसमें उस व्यक्ति का विश्वास और आस्था होती है . सनातन धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथ ऋग्वेद में प्रदक्षिणा अर्थात परिक्रमा को लेकर बेहद अहम जानकारी दी गई है . ऋग्वेद के अनुसार प्रदक्षिणा शब्द को जब दो भागों में विभाजित किया जाता है तो प्रा + दक्षिणा अलग अलग हो जाती है . इस पूरे शब्द में मौजूद प्रारब्ध का प्रा का अर्थ आगे बढ़ने से है और दक्षिण का अर्थ है चारों दिशाओं में से एक दक्षिण की दिशा ,यानी कि ऋग्वेद के अनुसार परिक्रमा का अर्थ है दक्षिण की दिशा की ओर बढ़ते हुए देवी देवता की उपासना करना . इस परिक्रमा के दौरान प्रभु हमारे दाएं ओर गर्भ ग्रह में विराजमान होते हैं लेकिन प्रदक्षिणा को दक्षिण दिशा में ही करने का नियम क्यों बनाया गया है इसके पीछे भी विशेष तर्क है . पौराणिक मान्यता के अनुसार परिक्रमा हमेशा घड़ी की सुई की दिशा में ही की जाती है तभी हम दक्षिण दिशा की ओर बढ़ते हैं .हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार ईश्वर हमेशा मध्य में उपस्थित होते हैं और वह स्थान प्रभु के केंद्रित रहने का अनुभव प्रदान करता है .
अक्षय नवमी के अवसर पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवन श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या के चारो तरफ से गोलाकार रूप में होने वाली 14 कोस की परिक्रमा की सभी तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं | इस कठिन परिक्रमा को करने के कुछ ख़ास नियम भी है इनमे से सबसे प्रमुख नियम है 42 किलोमीटर के लम्बे परिपथ पर नंगे पाँव परिक्रमा करने की परम्परा,शाश्त्रो के अनुसार परिक्रमा परिपथ के दायरे में भगवान श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या और यहाँ पर स्थित करीब 6 हज़ार मंदिर आते है और इस परिक्रमा के माध्यम से भगवान् श्री राम की जन्मस्थली सहित पूरी अयोध्या की परिक्रमा हो जाती है . चूंकि किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में जूते या चप्पल पहन कर शामिल होना निषिद्ध है इसी मान्यता के चलते श्रद्धालु कंकडो और पत्थरो के बीच से होते हुए 42 किलोमीटर की लम्बी परिक्रमा पूरी करते है भले ही इनके पैरो में छले पड़ जाए या पैर छिल जाए . आस्था की डगर पर श्रद्धालु अनवरत कदमताल मिलाते रहते है . इस तिथि की पवित्रता को ध्यान में रखते सदियों से राम नगरी अयोध्या की चौदह कोस की परिधि में नंगे पाँव परिक्रमा करने की परम्परा चली आ रही है इसी धार्मिक मान्यता के चलते लाखो की संख्या में भक्त श्रद्धालु अयोध्या पहुचे हैं और 16 नवम्बर की सुबह 7 बजे से 14 कोसी परिक्रमा शुरू करेंगे |

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