कार्तिक महीने की पूर्णिमा के दिन काशी में देव दिपावली मनाने की परंपरा रही है। जो कि यह परंपरा अब अयोध्या में अपना स्वरूप तैयार कर रहा है। दीपावली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र स्थलों पर स्नान कर दीपदान करने का विशेष महत्व माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन सभी देवी देवता पृथ्वी पर आते हैं। वही पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव ने इस दिन देवी देवताओं को राक्षस त्रिपुरासुर के प्रकोप से मुक्त कराया था। इसी खुशी में सभी देवताओं ने शिव की नगरी काशी में दीप जलाया था। उसी दिन से देव दीपावली मनाए जाने की परंपरा बनी।
देव दीपावली पर जहां मां सरयू की आरती उतारी गई वही अयोध्या के प्रमुख कुंड दंत धावन कुंड पर स्थानीय नागरिकों द्वारा बड़ी संख्या में दीपदान किया गया। जिसे देखने के लिए अयोध्या में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। इस दौरान स्थानीय निवासी मोहित गुप्ता ने बताया कि अयोध्या में रामलला के पक्ष में फैसला आने पर इस वर्ष देव दीपावली पूरी अयोध्या में मनाया जा रहा है।