6 दिसंबर 1992 के दौरान विवादित ढांचा विध्वंस के बाद 67 एकड़ भूमि को केंद्र सरकार द्वारा अधिग्रहित कर दिया गया इस अधिग्रहण में 13 प्राचीन मंदिर भी शामिल रहे। अधिग्रहण के बाद लंबे समय तक पूजा पाठ का आयोजन भी चला लेकिन इस बीच आतंकवादी घटनाओं को देखते हुए सभी मंदिरों पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा दिया गया जिसके बाद उन सभी मंदिरों के गर्भगृह बंद हो गए। और 9 नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसला आने के बाद भगवान श्री राम के भव्य मंदिर निर्माण की तैयारी शुरू हो गई लेकिन मंदिर निर्माण के लिए आसपास स्थित इन आधा दर्जन मंदिरों के जर्जर हालात होने के कारण ढहा दिया गया। इस दौरान कुछ मंदिरों में विराजमान भगवान की प्रतिमा को सुरक्षित कर दिया गया है।
राम मंदिर निर्माण की तैयारी को लेकर निर्माण समिति बैठक कर मंदिर निर्माण के साथ राम जन्मभूमि परिसर के विकास कभी खाका तैयार किया है। जिसमें जर्जर हालत होने के कारण ढहाए गए 28 वर्षों से अधिग्रहित प्राचीन मंदिरों को पुनः स्थापित करने का भी फैसला लिया गया है। जिसकी जानकारी देते हुए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी ने बताया कि निश्चित रूूप से किसी भी देवता का उत्थापन नहींं किया सिर्फ अस्थाई रूप से हटाया जाएगा और बाद में उसी प्रकार का मंदिर बना कर वहां पर उन देवताओं की स्थापना करेंगे।