सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम अयोध्या में सुरक्षा के सभी मानक पूरे किए जा रहे हैं। सभी बैरियर्स पर सुरक्षा घेरा सख्त कर दिया गया है। पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के एक साल पूरे हो रहे हैं। इस बड़े दिन आतंकी हमले की आशंका के बीच चप्पे-चप्पे पर पुलिस फोर्स तैनात की गई है। बॉर्डर चैकियों पर अभी से पुलिस फोर्स की तैनाती की गई है। बाहरी वाहनों और रोडवेज बसों की चेकिंग की जा रही है। सिटी सर्किल में प्रवेश करने वालों की भी जांच हो रही है। आधार कार्ड जैसे सरकारी पहचान पत्र व दस्तावेज देखे जा रहे हैं। संदग्धिों की तलाश में होटल, धर्मशाला जैसे सार्वजनिक स्थलों पर भी गोपनीय जांच जारी है। बाहर से आकर जिले में रुके यात्रियों की मंशा को सुरक्षा एजेंसी भांपने की कोशिश कर रही हैं।
चार जोन में बंटी अयोध्या रामजन्मभूमि की परम्परागत सुरक्षा व्यवस्था में जिले को चार जोन में डिवाइड किया गया है। पहला जोन शिफ्ट स्ट्रक्चर का पार्ट है। इस क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से सीआरपीएफ के हवाले है। इसके अलावा रेड जोन जिसमें कि रामजन्मभूमि का सम्पूर्ण 70 एकड़ परिसर शामिल है। इस क्षेत्र में सीआरपीएफ व पीएसी सहित सिविल पुलिस के जवान संयुक्त रुप से तैनात हैं। तीसरा जोन यलो जोन है जिसमें चारों ओर स्थाई बैरीकेडिंग लगाकर सिविल पुलिस व पीएसी की तैनाती की गयी थी। अब दोबारा से यलो जोन के दायरे को बढ़ाकर सम्पूर्ण पंचकोसी परिक्रमा क्षेत्र कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त 14 कोसी परिक्रमा पथ यानी कि चौथा हिस्सा ग्रीन जोन का हिस्सा है, जहां समयानुसार सुरक्षा के इंतजाम किए जाते हैं।
गर्भग्रह की जमीन रामलला को ट्रांसफर शिलान्यास से पहले गर्भगृह की जमीन रामलला को ट्रांसफर की गई है। जबकि 67 एकड़ की जमीन श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को ट्रांसफर की गई है। माना जा रहा है कि गर्भग्रह की जमीन रामलला को स्थांनतरित कर दी गई है। गौरतलब है कि अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पूर्व करीब 28 सालों तक रामलला इसी गर्भगृह में अस्थायी टेंट में रहे थे। अदालती फैसले से मंदिर निर्माण का रास्ता साफ होने के बाद उन्हें 25 मार्च को पूरे धार्मिक अनुष्ठान के साथ अस्थायी मंदिर में विराजमान कराया गया था। मंदिर का निर्माण पूरा होने के बाद रामलला को गर्भग्रह में रखा जाएगा। यह गर्भग्रह सोने का बना होगा।