त्रेतायुग की सम नदी बनी थी समदा झील अयोध्या में समदा झील बहुत ही ऐतिहासिक और पौराणिक झील है. इस स्थल को लेकर पौराणिक मान्यता है कि प्रभु श्रीराम के समय से ही यह झील अस्तित्व में है जब यहां से प्रवाहित होने वाली सम नदी जब सूख गई तो उस समय अपने कुछ अवशेष के रूप में इस झील को छोड़ गई। जिसे आज समदा झील के रूप में जाना जाता है। स्थानीय लोगों की मानें तो इस झील पर पक्षियों का समूह राम के गुणगान करती थी और यहां के लोग आवाज को सुनने के लिए हम तो बैठे रहते थे। इस झील का जीर्णोद्धार को लेकर पहले भी जिला प्रशासन के द्वारा प्रयास किया जा चुका है लेकिन लाखों खर्च किए जाने के बावजूद यह पौराणिक स्थिति वापस नहीं पा सकी। इसके बाद एक बार फिर इस झील के कायाकल्प कराये जाने की योजना बनाई गई है।
देश विदेश की पक्षियों का लगता है जमावड़ा तो वही समदा झील को लेकर एक बड़ी विशेषताएं भी देखी जाती हैं इस झील में स्थानीय पक्षियों के साथ प्रवासी पक्षी साइबेरियन, ऑस्ट्रेलियन व नेपाली पक्षियों का भी जमावड़ा देखा जाता है। जिसे देखने के लिए आसपास के जनपदों से भी लोग पहुंचते हैं। स्थानीय लोगो की माने तो यहां से देश विदेशी पक्षियों को मारने व पकड़ कर लेने का कार्य भी किया जाता है। लेकिन इनकी सुरक्षा नही हो पाती इसलिए इस झील के कायाकल्प किये जाने के साथ पक्षितों कि सुरक्षा किये जाने के लिए योजना बनाई जाए।