पत्रिका से विशेष बातचीत में एलएंडटी एक अधिकारी ने बताया कि राममंदिर निर्माण के लिए इन दिनों ग्राउंड इंप्रूवमेंट का कार्य चल रहा है। 40 लेयरों में भरी जाने वाली नींव की पहली लेयर भरने की प्रक्रिया चल रही है। चैत्र रामनवमी के समय यह काम हो रहा है। इसलिए निर्माण कार्य में जुटे सभी श्रमिक और इंजीनियर खुद को बहुत सौभाग्यशाली मानते हैं। वे कहते हैं जहां श्रीराम का जन्म हुआ उस स्थल पर भव्य मंदिर का निर्माण जैसा पवित्र काम जीवन में दूसरा हो ही नहीं सकता। वह भी जब नवरात्रि चल रहे हों। इसीलिए निर्माण कार्य में लगे सभी लोग कार्य के दौरान प्रभु का स्मरण करते रहते हैं। हर किसी ने जीवन में झूठ ने बोलने का संकल्प लिया है। सभी का प्रयास रहता है उनके किसी कृत्य से किसी की आत्मा न दुखे। निर्माण कार्य में जुटने से पहले श्रीरामलला की पूजा-अर्चना कर निर्माण कार्य प्रारंभ करने की अनुमति ली जाती है।
21 अप्रैल को विशेष पूजा 21 अपे्रल को श्रीराम का भव्य जन्मोत्सव मनेगा। इस दिन रामलला के गर्भगृह में दसों दिशाओं में रामलला के मंदिर की सुरक्षा के लिए दिग्पालों के विग्रह की विशेष पूजा होगी। बाद में दसों दिग्पालों को मई माह में विधिवत में स्थापित किया जाएगा। माना जाता है दस दिशाओं के देवता अपनी—अपनी दिशाओं की रक्षा करते हैं। रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास भगवान श्रीरामलला के जन्मस्थान पर विशेष पूजन कराएंगे।
यह शुभ घड़ी सौभाग्यशाली भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के दौरान मंदिर का निर्माण बहुत सौभाग्यशाली दिन है। दरम्यान जन्मस्थान पर कार्य कर रहे मजदूरों के लिए यह विशेष महत्व के दिन हैं। रामलला की जन्मभूमि की मिट्टी पर पवित्रता से कार्य करना जीवन की सबसे बड़ी निधि है।
-आचार्य सत्येंद्र दास, श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी
पुण्य की अभिलाषा मंदिर निर्माण में लगे सभी वर्कर और इंजीनियर कार्य प्रारंभ करने से पहले रामलला का दर्शन पूजन कर माथा टेकते हैं। पुण्य की अभिलाषा में सभी बड़ी ईमानदारी और लगन से कार्य कर रहे हैं। तय समय में काम पूरा करना सभी का लक्ष्य है।
-चंपतराय,महासचिव, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट
ऐसे रखी जा रही नींव की ईंट – प्रत्येक दिन सुबह 7.00 बजे से शुरू हो जाता है कार्य
– मिस्त्री, राजगीर और श्रमिक अपने औजारों को करते हैं शुद्ध
– मशीन संचालन, ऑपरेटर और अन्य वर्कर पहनते हैं साफ व स्वच्छ वस्त्र
– भगवान के दरबार में दर्शन-पूजन के बाद जाते हैं साइट पर
– दिनभर शारीरिक स्वच्छता का रखा जाता है विशेष ख्याल
– हर पाइल यानी ‘ ईंट ‘ को रखने के साथ लिखा जाता है रामनाम