श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का कहना है कि मंदिर के फाउंडेशन का निर्माण तीन चरणों में होगा। पहले चरण में नींव तैयार हो गई है। दूसरे चरण में नींव के ऊपर 1.50 मीटर ऊंची राफ्ट ढालने का काम किया जा रहा है। राफ्ट की ढलाई में प्रतिदिन 287 घनमीटर कंकरीट का प्रयोग किया जा रहा है। कंकरीट तैयार करने के लिए परिसर में पांच कंटेनर लगाए गए हैं। सामान्यत: 10 मिनट में एक कंटेनर 6 क्यूबिक फिटर कंकरीट बना रहा है। ढलाई का काम केवल रात में ही 25 डिग्री सेल्सियस तापमान पर हो रहा है। हर रोज 10 घंटे लगातार काम कर ढलाई की जा रही है। अक्तूबर तक यह काम पूरा हो जाएगा।
गर्भगृह के क्षेत्र के नवनिर्मित राफ्ट के ऊपर बर्फ की परत डालकर उस पर थर्माकोल की शीट बिछाई गयी है। फिर उसके ऊपर तिरपाल भी बिछाई गयी है। ऐसा सूर्य की किरणों को सीधे राफ्ट पर पडऩे से रोकने के लिए किया गया है। इससे राफ्ट के मसाले का 25 डिग्री सेल्सियस तापमान बरकरार रहेगा और बाद में राफ्ट में दरार आने का खतरा भी नहीं रहेगा।
नवंबर से 16 फीट ऊंचे प्लिंथ का निर्माण शुरू किया जाएगा। चार गुणा दो फिट के ब्लाकों के तीस हजार टुकड़े से साढ़े 16 फिट के प्लिंथ का निर्माण किया जाना है। फिलहाल करीब एक हजार ब्लाक (पीस) जिनमें एक-एक ब्लाक करीब एक टन वजन का है, भेजा जा चुका है। प्लिंथ निर्माण में चार माह लगने का अनुमान है। चंपत राय ने बताया कि अप्रेल माह से न्यास कार्यशाला में रखे गर्भगृह के पत्थरों का इस्तेमाल भी शुरू कर दिया जाएगा। दिसंबर 2023 तक रामलला भव्य गर्भगृह में भक्तों को दर्शन देने लगेंगे।