धार्मिक कार्यो में बाधा श्री राम जन्म भूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सतेन्द्र दास ने बताया की कोर्ट का यह निर्णय धार्मिक कार्यो में एक प्रकार से बाधा है। कोर्ट इस विषय पर पुनः विचार करे। किसी के द्वारा एक प्रार्थना पत्र दे देने से उस पर इस प्रकार का आदेश पारित किया जाये। यह गलत है कोर्ट ने जो ध्वनि प्रदूषण का हवाला देते हुए किया है लेकिन समाज में ऐसे तमाम प्रदूषण हैं, जिस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। यह कार्य केवल धार्मिक भावना पहुचने वाला यह कार्य क्रम है और हम यह साकार से मांग करते है कि ध्वनि प्रदुषण के लिए ज्यादा तीव्र गति से बजने वाले बाजाओं पर रोक लगाएं। हमारे धार्मिक स्थलों तथा मंदिरों में रामायण पाठ , भजन संध्या होता है। कथा प्रवचन होते हैं। अन्य कार्यक्रम मंदिरों में होते हैं। यह रोक का आदेश धार्मिक आस्था पर ठेस है। सरकार तत्काल इस पर विचार कर इस आदेश को संसोधित करे जिससे किसी के भावनाओं पर कोई ठेस न लगे।
लाऊडस्पीकर बंद कराना गलत दिगंबर अखाडा़ के महंत सुरेश दास ने बताया कि वर्तमान समय में लाऊडस्पीकर बंद करने का आदेश है, जो कि गलत है। घरों में भगवत कराने के लिए प्रशासन से आदेश लेना पड़ेगा। इस तरह की व्यवस्था हमारे देश में नहीं है। यह धर्म प्रधान देश है। यहां कोई भी धार्मिक कार्य के लिए प्रशासन से या पुलिस से कभी भी आदेश नहीं लिया जा सकता है। यह गलत है इस फैसले को सरकार नहीं हटाए तो अयोध्या के संत महंत तथा ग्रहस्त इसका विरोध कर आन्दोलन करेंगे। रोज सुबह हनुमान गढ़ी पर जो भजन व् कीर्तन बजता है उससे अयोध्या के संत और गृहस्त को बहुत फायदा है। विश्व हिन्दू परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी ने पत्रिका टीम से संपर्क कर बात करते हुए बताया कि धार्मिक स्थानों के मंदिरों पर लगर प्रतिबन्ध गलत है।
सरकार इस आदेश को तत्काल रोके और सिर्फ तेज गति से बजने वाले डी जे तथा फूहर गानों का प्रदर्शन पर ही रोक लगाये न कि मठ मंदिरों पर लगे लाऊडस्पीकर पर रोक हो। मंदिरों में सुबह और सायंकाल ही भगवान के भजन बजने के लिए प्रयोग होता है। इसके लिये जल्द ही साधु संत एक बैठक कर इस पर निर्णय लेंगे। अयोध्या के संत से भी करेंगे बात। वहीं मुस्लिम धर्मों में भी इसका विरोध शुरू हो गया है।
भगवान और अल्लाह के धुन से यहाँ के नागरिको का होता है सवेरा अयोध्या का प्रमुख मंदिर मस्जिद विवाद के पैरोकार इक़बाल अंसारी ने कहा कि अयोध्या में भगवान और अल्लाह के धुन से यहाँ के नागरिको का सवेरा होता है। रोज सुबह भजन या अजान सुनने से लोगो का स्वस्थ ठीक होता है। अगर प्रतिबन्ध लगाना है तो तेज बजने वाले डी जे पर प्रतिबन्ध लगाए जाएं न कि मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा पर लगाएं। मस्जिदों में अजान करते कुछ समय के लिए ही बजता है। सरकार को वह कार्य करना चाहिए जिससे देश का भला हो।