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अयोध्या के इस अनोखे बैंक में रुपए नहीं होते हैं जमा, पर पूंजी हो रही है दोगुनी

locationअयोध्याPublished: Feb 25, 2021 06:04:48 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

सीताराम बैंक की कुल 124 शाखाएं, इस बैंक के 30 हजार स्थायी और एक लाख से ज्यादा अस्थायी सदस्य

अयोध्या के इस अनोखे बैंक में रुपए नहीं होते हैं जमा, पर पूंजी हो रही है दोगुनी

अयोध्या के इस अनोखे बैंक में रुपए नहीं होते हैं जमा, पर पूंजी हो रही है दोगुनी

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

अयोध्या. अयोध्या का नाम सुन इस वक्त सिर्फ रामलला मंदिर निर्माण का ख्याल आता है। पर अयोध्या की पावन भूमि में एक ऐसा अनोखा बैंक है जो बेहद चर्चित है, जहां रुपया-पैसा जमा नहीं होता है। पर बैंक की पूंजी लगातार बढ़ती जा रही है। यहां सिर्फ राम नाम लिखी कापियां जमा होती हैं। जिसे सीता राम के दीवाने भक्त श्रद्धाभाव से लिखते हैं। ग्रन्थों में यह वर्णित है कि, 84 लाख रामनाम लिखने पर चौरासी लाख योनियों से मानव को मुक्ति मिल जाती है। तो भक्तों की कोशिश है कि 84 लाख रामनाम लिख मोक्ष प्राप्त करें। इस बैंक का नाम भी बेहद अद्भुत है सीताराम बैंक। ताज्जुब होगा यह जानकर कि इसकी शाखाएं देश में हीं नहीं विदेशों में भी हैं। सीताराम बैंक की कुल 124 शाखाएं हैं। इस बैंक में किसी भी भाषा का बंधन नहीं है, किसी भी भाषा में रामनामी कापियां लिख कर इसमेंं जमा करा सकते हैं।
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वर्ष 1970 में हुआ सीताराम बैंक की स्थापना :- अयोध्या में श्री सीताराम नाम अंतरराष्ट्रीय बैंक की स्थापना कार्तिक कृष्णपक्ष की एकादशी तिथि को वर्ष 1970 में किया गया था। रामजन्म भूमि न्यास अध्यक्ष के महंत नृत्य गोपालदास ने इस बैंक की स्थापना की थी। सीता राम बैंक के अध्यक्ष पुनीतरामदास हैं। यह बैंक मणिरामदास जी की छावनी में है, जहां श्वेत-संगमरमरी दीवारों पर वाल्मीकि रामायण के सभी 24 हजार श्लोक उत्कीर्ण किए गए हैं। पांच दशक में बैंक में 15 हजार करोड़ सीताराम नाम जमा हो चुके हैं। इस बैंक के 30 हजार स्थायी और एक लाख से ज्यादा अस्थायी सदस्य हैं।
पांच लाख बार नाम लेखन पर स्थायी सदस्यता :- पुनीतरामदास बताते हैं कि, सीता राम बैंक की ओर से नाम लेखन की कॉपी उपलब्ध कराई जाती है, यह 64 पेज की होती है और इसमें सीताराम लेखन के लिए 21 हजार तीन सौ खाने होते हैं। यानी किसी ने एक कॉपी लिखी, तो उसने 21 हजार तीन सौ बार सीताराम का नाम लिखा है। बैंक का सदस्य उन्हें ही बनाया जाता है, जिन्होंने कम से कम पांच लाख बार नाम लेखन किया हो। उससे कम लिखने वाले को अस्थायी सदस्य माना जाता है।
तीन श्रद्धालुओं को सालाना सम्मान :- इस बैंक के 30 हजार स्थायी सदस्य देश-विदेश में नाम बैंक कॉपियां देने के साथ लिखीं कापियां जमा कराने में मदद करते हैं। बैंक, सदस्यों को पास बुक भी देता है। इसमें व्यक्ति का नाम-पता, लिखित आराध्य नाम लेखन की संख्या तिथिवार दर्ज होती है। पुनीतरामदास और उनके दो सहयोगी इस अनूठे बैंक की व्यवस्था को बनाते हैं। मणिराम छावनी सेवा ट्रस्ट की ओर से सर्वाधिक नाम लेखन जमा करने वाले तीन श्रद्धालुओं को सालाना सम्मानित भी किया जाता रहा।
बैंक की कुल 124 शाखाएं :- पुनीत रामदास ने बताया कि, बैंक की कुल 124 शाखाएं हैं। कनाडा, फिजी के साथ एक शाखा नेपाल और शेष सभी शाखाएं भारत के विभिन्न प्रांतों में हैं। अमेरिका, ब्रिटेन और अरब देश के प्रवासी भारतीय लोग भी सीताराम नाम बैंक से जुड़कर कॉपियां लिख कर भेजते हैं। हिंदी, उर्दू, अन्य भारतीय भाषाओं के साथ जर्मनी, रोमन, अंग्रेजी भाषा में भी लोग सीताराम लिखकर कापियां यहां भेजते हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अचानक कापियां लिखने की रफ्तार बढ़ गई है। बैंक में कॉपियों की बड़ी संख्या होने पर प्रत्येक वर्ष सावन के उत्तरार्द्ध में पुण्यसलिला का प्रवाह जब शिखर पर होता है, तब नाम लिखित कापियां सरयू की गोद में अर्पित की जाती हैं।
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