6 दिसंबर 1992 में राम जन्मभूमि परिसर में स्थित विवादित ढांचे को लाखों कारसेवकों ने चंद मिनटों में ही ढहा दिया था उस समय राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर था मंदिर निर्माण की इच्छा लिए लाखों कारसेवक अयोध्या पहुंचे थे जहां कारसेवा का ऐलान होने के बाद कार्य सेवकों ने परिसर पर चढ़ाई कर दिया और देखते-देखते ढांचे को ध्वस्त कर दिया जिसके बाद इस मामले को लेकर मुस्लिम पक्षकारों ने कोर्ट में ढांचा गिराए जाने को लेकर याचिका दाखिल की और इस आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले लोगों को आरोपी बनाया गया लंबे समय तब चली सुनवाई के बाद यह मामला को सीबीआई की अदालत में पहुंचा गया है जहां वर्तमान में 13 लोगों को आरोपी मानते हुए अंतिम सुनवाई के बाद 30 सितंबर को फैसला सुनाने जा रही है।
बाबरी विध्वंस मामले पर आने वाले फैसले को लेकर पत्रिका टीम से खास बातचीत आरोपी व भाजपा के पूर्व सांसद डॉक्टर रामविलास दास वेदांती ने बताया कि इस फैसले के पहले कोर्ट में पेशी के दौरान पूछे गए सवालों का जवाब दिया गया कोर्ट ने पूछा था कि ढांचा गिराए जाने के बाद क्या देखा उस पर उत्तर देते हुए कहा था कि उस ढांचे में भगवान श्री रामलला विराजमान थे और वह ढांचा खंडार हो गया था जो कभी भी गिरकर रामलला को क्षति पहुंचा सकता था इसलिए उस मंदिर के खंडार को तोड़वाया जिसे तोड़ने वाले देश के लाखों लोग थे । सभी राम भक्तों के मन में मंदिर निर्माण करने की इच्छा थी जिसकी पूर्ति लोगों ने किया उस स्थान पर कोई मस्जिद थी ही नहीं क्योंकि सन 1968 में जब से मै आया हूँ उस स्थान पर किसी को नवाज पढ़ते नहीं देखा। वही बताया कि हमें इसका गर्व है कि उस मंदिर के खंडार को हमने तोड़वाया जिसकी जिम्मेदारी भी मैंने ली है। और 30 तारीख को फैसला आने वाला है इस फैसले में यदि हमें उम्रकैद या फांसी की सजा होती है तो इससे बड़ा सौभाग्य नहीं होगा। 30 तारीख को लेकर कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया है जिसके लिए 30 सितंबर को 10 बजे कोर्ट में हाजिर हो जाएंगे।