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राममंदिर का रास्ता हुआ साफ, लेकिन अभी एक और केस पर फैसले का बेसब्री से इंतजार

locationअयोध्याPublished: Nov 09, 2019 01:41:04 pm

Ayodhya ka Faisla: अयोध्या के दूसरे केस का हाल, 27 वर्षों से अदालती भंवरजाल में उलझे 49 मुकदमे…

राममंदिर का रास्ता हुआ साफ, लेकिन अभी एक और केस पर फैसले का बेसब्री से इंतजार

राममंदिर का रास्ता हुआ साफ, लेकिन अभी एक और केस पर फैसले का बेसब्री से इंतजार

अयोध्या . अयोध्या मामले (Ayodhya Case) में सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन रामलला विराजमान को दे दी। वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड (Sunni Waqf Board) को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में कहीं भी 5 एकड़ जमीन देने को कहा गया है। जबकि निर्मोही अखाड़ा (Nirmohi Akhada) का दावा खारिज कर दिया गया। अदालत के इस फैसले से अयोध्या के विवादित स्थल पर राममंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि अयोध्या मामले (Ayodhya Faisla) से इतर एक और केस पर फैसले का भी बेसब्री से इंतजार है। यह केस अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को विवादित बाबरी मस्जिद की इमारत को तोड़ने के (Babri Masjid Demolotion) कथित षड्यंत्र, भड़काऊ भाषण और पत्रकारों पर हमले से जुड़ा है। इस पर 49 मुकदमे पिछले 27 वर्षों से कानूनी दांव पेंच और अदालतों के भंवरजाल में उलझे हैं।

अंतिम दौर में सुनवाई

कुल 49 में से 22 अभियुक्तों पर सुनवाई लखनऊ की स्पेशल सीबीआई कोर्ट (Special CBI Coart) में अंतिम दौर में है। वहीं 8 अभियुक्तों पर रायबरेली में मुकदमे चल रहे हैं। 9 ऐसे भी अभियुक्त हैं, जिन पर कहीं मुकदमा चल ही नही रहा है। इस बीच 10 अभियुक्तों और लगभग 50 गवाहों की मौत भी हो चुकी है। अभियुक्तों में कुछ मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं।

बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में नामजद

6 दिसंबर 1992 को विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद इमारत को तोड़ने के कथित षड्यंत्र, भडकाऊ भाषण केस में अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, विष्णु हरि डालमिया, विनय कटियार, उमा भारती और साध्वी ऋतंभरा नामजद अभियुक्त हैं। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153ए, 153बी, 505, 147 और 149 के तहत यह मुकदमा रायबरेली में चल रहा है। इनमें अब तक 40 गवाह पेश हुए हैं। इसी मुकदमे के आधार पर पुलिस ने 8 दिसंबर 1992 को आडवाणी और अन्य नेताओं को गिरफ्तार किया था। शांति व्यवस्था की दृष्टि से इन्हें ललितपुर में माताटीला बांध के गेस्ट हॉउस में रखा गया था।

केस सीबीआई को ट्रांसफर

सभी एफआईआर में से केस नंबर 197 और केस नंबर 198 सबसे अहम था। तत्कालीन सरकार ने केस नंबर 197 की जांच सीबीआई को सौंप दी, जबकि केस नंबर 198 की जांच यूपी पुलिस की सीबी और सीआईडी विंग को सौंपी गई। वहीं 27 अगस्त 1993 में यूपी सरकार ने बाकी सभी केस सीबीआई को सौंप दिए। सीबीआई ने इन सभी केस की जांच की। जिसमें बाबरी मस्जिद विध्वंस केस (Babri Masjid Demolition Case) का मामला भी शामिल था। इसके बाद सीबीआई ने 5 अक्टूबर 1993 को लखनऊ के स्पेशल कोर्ट में 40 लोगों के खिलाफ चार्ज शीट दाखिल की। इसके करीब 2 साल बाद 11 जनवरी 1996 को सीबीआई ने एक और सप्लीमेंट्री चार्जशीट फाइल की। इसमें 9 वीआईपी लोगों को नाम था। इस तरह कुल आरोपियों की संख्या 49 हो गई।

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