शनि की पूजा करने से मिलता विशेष फल
सैकड़ो वर्ष के बाद आज ज्येष्ठ के मंगलवार के दिन अमावस्या का दिन पड़ा है इसी के साथ आज ही नक्षत्रो में सूर्य मेष राशि के निकल कर वृष राशि मे प्रवेश किया है इस राशि मे चंद्र राशि पहले से ही विराजमान है। सूर्य और चंद्र एक साथ होने से आज शनि का विशेष महत्व होता है। इस तिथि को हनुमान जी के साथ शनि भगवान की पूजा अर्चना करने से सभी दोष शांति हो जाता है । तथा ज्येष्ठ मास तिन वर्ष के बाद पड़ता है लेकिन इस वर्ष मंगलवार के दिन ज्येष्ठ अमावस्या सौ वर्ष बाद पडा है। आज के दिन सभी सुहागन महिलाएं अपने पति की दीर्घ आयु की कामना करती है और वट सावित्री की पूजा करती है।
सुहागन महिलाये निराजल व्रत रख वट वृक्ष की करती है पूजा
आचार्य राम स्वरूप ने बताया कि आज का अमावस्या भौमवती अमावस्या है। यह वर्ष के सभी मासों में सबसे पवित्र दिन होता है जो तीन वर्ष के बाद एक दिन पड़ता है। इसी दिन सावित्री देवी ने अपने पति के प्राण को भगवान से भी छीन लाई थी। इसलिए आज दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन महिलाये अपने पूर्ण श्रृंगार कर सुबह से निराजल व्रत रखती है और वट वृक्ष पर सूत के धागे लपेट कर श्री सिंदूर से पूजा करती है और उसकी परिक्रमा कर अपने पति के स्वास्थ स्वस्थ होने तथा दीर्घायु होने की कामना करती है। इसी के साथ आज सूर्य और चंद्रमा वृष राशि पहुचने से शनि के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। इसलिए आज हनुमान जी के साथ शनि भगवान की पूजा का करने से सभी पुण्य प्राप्त होते है।