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सपा-बसपा गठबंधन के बाद भाजपा इस सीट पर बदल सकती है अपना प्रत्याशी, गड़बड़ाया समीकरण

locationअयोध्याPublished: Jan 13, 2019 09:38:24 am

उत्तर प्रदेश का राजनीतिक समीकरण बदल गया है…

BJP candidate on Ayodhya seat after SP BSP alliance

सपा बसपा के गठबंधन के बाद इस सीट पर भाजपा बदल सकती है अपना प्रत्याशी, गड़बड़ाया समीकरण

अनूप कुमार

अयोध्या. साल 2019 लोकसभा चुनाव को लेकर देश के सभी राजनीतिक दल जोर शोर से अपनी तैयारियों में जूट हुए हैं। बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करने से लेकर उस क्षेत्र से किसे अपना चेहरा बनाना है इसे लेकर पार्टी के शीर्ष नेता मंथन कर रहे हैं। देश की सियासत में बेहद अहम किरदार निभाने वाले उत्तर प्रदेश के 2 बड़े विरोधी राजनीतिक दलों बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने शनिवार को संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर साल 2019 का लोकसभा चुनाव एक साथ लड़ने की घोषणा कर दी है। जिसके बाद साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर देश की संसद को सबसे ज्यादा सांसद देने वाले राज्य उत्तर प्रदेश का राजनीतिक समीकरण बदल गया है। दो प्रमुख विपक्षी दलों की एक साथ आ जाने से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के चेहरे पर चिंता की लकीरें गहरा गई है। हालांकि देश की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस ने अभी तक इस गठबंधन को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। लेकिन फिर भी पिछड़े और दलित वोटों की राजनीति कर यूपी की सत्ता हथिया चुके इन दोनों दलों के आपसी मेलजोल से भाजपा का समीकरण गड़बड़ा सकता है।
टिकट को लेकर रस्साकशी तेज

वहीं देश की सियासत में बेहद अहम किरदार निभाने वाली अयोध्या संसदीय सीट पर भी केंद्र और प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की जिला इकाई में टिकट को लेकर रस्साकशी तेज हो चुकी है। पार्टी के विश्वस्त सूत्रों की माने तो वर्तमान में इस सीट से भाजपा के सांसद लल्लू सिंह को लेकर पार्टी का एक बड़ा खेमा विपक्ष में खड़ा है और इस विरोधी खेमे की अगुवाई पर्दे के पीछे से पूर्व राज्यसभा सांसद विनय कटियार रुदौली से भाजपा विधायक रामचंद्र यादव कर रहे हैं। बीते पखवारे अयोध्या में हुए अयोध्या महोत्सव कार्यक्रम को लेकर भाजपा सांसद और जिले के विधायकों के बीच आपसी खींचतान ने इन कयासों को और मजबूत कर दिया है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो साल 2019 लोकसभा चुनाव में वर्तमान सांसद लल्लू सिंह के टिकट पर संशय हो सकता है।
इनके नाम आगे

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जिले की 5 विधानसभा सीटों से भाजपा के विधायक-सांसद के टिकट बंटवारे को लेकर परिस्थितियां बदल सकते हैं। वहीं अगर विकल्प पर की बात की जाए तो फैजाबाद संसदीय सीट से भाजपा के अन्य उम्मीदवारों की दौड़ में पूर्व राज्य सभा सांसद विनय कटियार, रुदौली से भाजपा विधायक रामचंद्र यादव का नाम भी तेजी से चल रहा है। हालांकि अगर समर्थन का प्रतिशत कहें तो अभी भी लल्लू सिंह 100 फ़ीसदी में से 40 फ़ीसदी पर अकेले काबिज़ हैं और अन्य दोनों नेताओं को लगभग 30 30 फ़ीसदी की स्वीकार्यता मानी जा सकती है।
भाजपा के सामने बड़ी मुश्किल

लेकिन अगर इन दोनों नेताओं ने आपस में समझौता कर लिया और किसी एक के नाम का चयन हुआ तो निश्चित रूप से भाजपा सांसद के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। हालांकि अभी जिले की भाजपा इकाई स्पष्ट रूप से कुछ भी कहने को तैयार नहीं है। लेकिन जिले में होने वाले तमाम कार्यक्रमों में होने वाली गुटबाजी में कहीं ना कहीं कम से कम अयोध्या संसदीय सीट पर भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं और यह गुटबाजी आने वाले समय में भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत बन सकती है। एक तरफ दो बड़े विपक्षी दलों का आपसी गठबंधन और दूसरी तरफ पार्टी में हो रही गुटबाजी बीजेपी के लिए अच्छे संकेत नहीं है।
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