प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट में उस समय ग्रहण लगता नजर आया जब जिला प्रशासन की टीम को स्थानीय लोगों ने वापस कर दिया। जिला प्रशासन की टीम विश्व की सबसे ऊंची भगवान श्री राम की प्रतिमा के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए पैमाइश करने गई थी। पर्यटन विभाग ने अयोध्या में सरयू किनारे भगवान श्रीराम की 221 मीटर ऊंची मूर्ति लगाने के लिए 200 करोड़ का बजट प्रस्ताव कर दिया है। प्रस्तावित मूर्ति की स्थापना के लिए करीब 222 लोगों की 265 गाटा संख्या से 28.2864 हेक्टेयर भूमि क्रय की जानी है। सर्किल रेट के हिसाब से जमीन की कीमत 38 करोड़ 6 लाख आंकी गई है, लेकिन नियमानुसार ग्रामीण क्षेत्र की भूमि का मुआवजा सर्किल रेट से चार गुना और शहरी क्षेत्र की भूमि का मुआवजा सर्किल रेट से दोगुना देने की व्यवस्था है। स्थानीय ग्रामीण सरकार की मुआबजे से संतुष्ट नहीं है और वह अब जिलाधिकारी अयोध्या से मिलकर अपनी बात रखने वाले हैं। फिलहाल जिला प्रशासन के राजस्व की टीम बैरंग वापस लौट गई।दरअसल भगवान श्रीराम की मूर्ति के लिए अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू होनी है। कुल 28.2864 हेक्टयर भूमि अधिग्रहीत की जानी है। जमीन क्रय करने का नोटीफिकेशन जारी कर दिया गया है। भू स्वामी को 20 जून तक कागजात के साथ अपना पक्ष रखने का समय दिया गया है।
स्थानीय लोगों के मुताबिक भूमि मुआवजाा देने को लेकर पक्षपात किया जा रहा है लोगो का आरोप है कि अयोध्या में चल रही कई योजनाओं के तहत भूमि का अधिग्रहण किया जाना है और कई स्थानों पर भूमि अधिग्रहण को लेकर सर्कल रेट से 4 गुना दिया गया है वही सरयू घाट के किनारे बसे इन बस्ती वालों को उचित रेट नही दिया जा रहा हैं इसलिए स्थानीय लोगो ने इसका विरोध है वहीी बताया अयोध्या में लगनेे भगवान श्री राम की मूर्ति को लेकर कोई विरोध नहीं है।। लेकिन हमारी अपना घर छोड़नेेे के बाद हम लोग कहां रहे इसका भी कोई ठिकाना नहीं है असली सरकार से मांग करते हैं कि उचित मुआवजे के साथ फ्री होल्ड जमीन भी दिया जाए।