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देश की सबसे बड़ी प्रयोगशाला से परखी जाने के बाद मंदिर निर्माण में लगाए जाएंगे ताम्बे के छड़

locationअयोध्याPublished: Oct 27, 2021 02:53:51 pm

Submitted by:

Satya Prakash

राम मंदिर निर्माण में राजस्थान के पत्थरों को जोड़ने के बीच लगाई जाएगी उच्च कोटि का ताम्बे का छड़

देश की सबसे बड़ी प्रयोगशाला से परखी जाने के बाद मंदिर निर्माण में लगाए जाएंगे ताम्बे के छड़

देश की सबसे बड़ी प्रयोगशाला से परखी जाने के बाद मंदिर निर्माण में लगाए जाएंगे ताम्बे के छड़

अयोध्या. राम मंदिर निर्माण में पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे के छड़ों का प्रयोग किया जाएगा। जिसके लिए बड़ी संख्या में तांबे की छड़ दानदाताओं के द्वारा भेजे जा चुके हैं। जिस पर कार्यदायी संस्था एलएंडटी तांबे पर मंथन शुरू कर दिया है। इसकी मजबूती को परखने के लिए तांबे का सैम्पल लेकर झारखंड के सिंहभूम भी गई थी।
परिसर में चल रहा राफ्ट का निर्माण


राम मंदिर निर्माण के दूसरे चरण में राफ्ट निर्माण का कार्य किया जा रहा है जिसमे लगभग 10 ब्लॉकों को बनाए जाने का कार्य पूरा कर लिया गया है। वहीं दूसरी तरफ राम मंदिर के फर्श को बनाए जाने के लिए पत्थरों की आपूर्ति की जा रही है। और मंदिर के भव्य निर्माण का कार्य शुरू करने की भी तैयारी है। राम मंदिर के सुपर स्ट्रक्चर को तैयार करने के लिए राजस्थान के गुलाबी पत्थरों का प्रयोग किया जाएगा है। जिनके जुड़ने वाले स्थानों पर 34 टन तांबे का प्रयोग होगा।
देश का सबसे बड़ा मऊभण्डार आईसीसी कारखाना


राम मंदिर निर्माण में लगने वाले तांबे का छड़ की जांच तांबे की जननी है जाने वाले स्थल झारखंड के सिंहभूम के मऊभण्डार आईसीसी कारखाना जो कि 1929 में स्थापित की गई थी। जहां से देश में तांबे की अधिकांश जरूरतें पूरी की जाती हैं। मंदिर निर्माण कार्य संस्था एलएंडटी सैंपल को लेकर कारखाने के प्रयोगशाला में जांच से लौट आई है। मिली जानकारी के मुताबिक लंदन मेटल एक्सचेंज के लिहाज से प्रति टन तांबे की दर 9000 डालर है। जबकि भारतीय मुद्रा के हिसाब से 6 लाख 75000 होगी।
भूकंप के झटकों को रोकने के लिए लगाई जाएगी ताम्र छड़

राम मंदिर निर्माण के आर्किटेक्ट आशीष ओमपुरा के मुताबिक राम मंदिर निर्माण बंसी पहाड़पुर के बुलाई पत्रों से किया जाना है पत्थरों को जोड़ने की पत्तियों का भी किया जाएगा सभी पत्तियां भूकंप के दौरान पत्थरों को हिलने से रोकने में समर्थ होती हैं। वही बताया कि पत्थरों को जोड़ने के लिए कई अलग-अलग साइज का प्रयोग किया जाएगा।
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