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घंटा-घड़ियाल की गूंज न भीड़ का रेला, सूना पड़ा रामनवमी मेला

locationअयोध्याPublished: Apr 01, 2020 06:16:17 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

-साधु-संतों को भी सरयू में सामूहिक स्नान की अनुमति नहीं-अयोध्या जाने वाले सभी मार्ग सील, पैदल यात्रियों की इंट्री भी मुश्किल-रामनवमी मेले पर 12 लाख से अधिक की होती थी भीड़-कोरोना के चलते सडक़ों पर नहीं इस बार नहीं दिख रहे 12 लोग-कोरोना वायरस के संक्रमण के बचाव संबंधी पोस्टर्स से पटी अयोध्या

घंटा-घड़ियाल की गूंज न भीड़ का रेला, सूना पड़ा रामनवमी मेला

सरयू इतनी शांत हैं कि इनकी निर्मल धारा की कल-कल आवाज भरी दोपहरी में भी साफ सुनाई दे रही है

अयोध्या से लाइव
महेंद्र प्रताप सिंह
अयोध्या. इस शुभ घड़ी का लोगों को 400 सालों से इंतजार था। टेंट से श्रीरामलला अस्थायी मंदिर में विराजमान हो चुके हैं। चैत्र नवमी को श्रीरामजन्मोत्सव को भव्य तरीके से मनाने की तैयारी थी। इस उत्सव में 12 लाख से अधिक की भीड़ आनी थी। लेकिन अब जबकि रामनवमी के चंद घंटे बाकी हैं रामनगरी में नीरव सन्नाटा पसरा है। मंदिरों के कपाट बंद हैं। दुकानें बंद हैं। गलियां सूनी हैं। सरयू तट पर स्नानार्थियों का रेला नहीं है। सरयू इतनी शांत हैं कि इनकी निर्मल धारा की कल-कल आवाज भरी दोपहरी में भी साफ सुनाई दे रही है। न डुबकियों की छप-छपाक न रामनाम का शोर। पंडे और पुजारी भी नहीं दिख रहे। रामलला की ओर जाने वाले रास्तों पर जवानों के बूटों की आवाज दोपहर का सन्नाटा तोड़ रही है। हर बैरेकेटिंग पर पुलिस का भारी पहरा है। इन्हें ही भक्त कह लीजिए। रामनवमी के मेले में आयी भीड़ पुकार लीजिए या फिर भगवान के रखवाले बोल लीजिए। कोरोना वायरस के खौफ में इस बार रामनवमी में अयोध्या का यही सच है।
अयोध्या की हर गली और प्रमुख सडक़ों के किनारे कोरोना महामारी से आगाह करते पोस्टर लगे हैं। लेकिन, इन्हें पढऩे वाले लोग नहीं दिख रहे। कहीं कोई श्रद्धालु नहीं। भक्त, महंत और पुजारी घरों, मठों और मंदिर के भीतर हैं। यह वही अयोध्या है जहां हर साल चैत्र नवरात्र पर तिल रखने की भी जगह नहीं होती। देश-विदेश से 12 से 15 लाख की भीड़ यहां उमड़ती है, लेकिन इस बार वैश्विक महामारी कोराना में अयोध्या की रौनक खत्म है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च को ही आमजन से अनुरोध किया था। कोरोना से बचने के लिए लोग चैत्र नवरात्र में अपने घर में ही रहकर धार्मिक अनुष्ठान करें। इस अपील का पूरा असर दिख रहा है। आधिकारिक रूप से न मेला पर प्रतिबंध नहीं है। लेकिन मेला तो कहीं है ही नहीं। यहां तो परिंदा भी पर नहीं मार सकता। अयोध्यावासी भी रामनवमी पर अपने घर से बाहर नहीं निकल सकते। शहर के बाहर निकले तो पर्व बीतने के बाद ही घरवापसी होगी।
अष्टमी पर अलसुबह मां सीता की कुलदेवी मातारानी शक्तिपीठ छोटकी देवकाली मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। भक्त जालपा देवी मंदिर भी पहुंचते हैं। लेकिन इन दोनों मंदिरों में ताला लटक रहा है। कमोबेश, यही हाल कनक मंदिर, हनुमानगढ़ी, रामलला परिसर, कालेमंदिर और सीता रसोई जैसे मंदिरों का भी है। हर जगह नीरव सन्नाटा है। न दर्शनार्थियों का रेला न महंतों और साधुओं की टोली।
सरयू में सामूहिक स्नान पर पाबंदी
रामनवमी पर पवित्र सरयू नदी में सामूहिक डुबकी पर प्रतिबंध है। सरयू तट पर भारी बैरिकेटिंग है। लेकिन कोई स्नान नहीं कर रहा। साधु-संतों को भी टोली के साथ स्नान करने की मनाही है। किसी बवाल से बचने के लिए ज्यादातर ने तडक़े 3 बजे ही डुबकी लगा ली। हालांकि,प्रमुख मंंदिरों के मंहतों के लिए पास जारी किए गए हैं। लेकिन हर कोई बितंडे से बचना चाहता है।
अयोध्या की सीमाएं सील
अयोध्या पहुंचने की सभी सीमाएं पूरी तरह से सील हैं। हाइवे के टोल गेट पर ही अवरोधकों से रास्ते को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। सिर्फ अयोध्यावासी पैदल यात्री और दोपहिया वाहनचालक ही पहचान पत्र दिखाने के बाद निकल पा रहे हैं। लखनऊ, अंबेडकरनगर, गोंडा, बाराबंकी जैसे सीमावर्ती जिलों से अयोध्या को पहुंचने वाले छोटे सडक़ मार्ग भी पूरी से बंद हैं।
कोरोना से बचाव ही उपाय
रामनवमी मेले भले ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ इस बार नहीं उमड़ी है लेकिन अयोध्या जिला प्रशासन ने कोरोना वायरस से बचने के लिए हजारों पोस्टर अयोध्या के सभी प्रमुख स्थलों पर चस्पा करवाए हैं। इसके पहले के मेलों में विभिन्न मंदिरों और मठों के पोस्टर चस्पा होते थे जिनमें मंदिर और मठों के बारे में जानकारियां होती थीं।
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