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अयोध्या

5 वर्ष बाद मासूम बालिका को मिला इंसाफ, कोर्ट ने आरोपियों को दी फांसी की सजा

पांच वर्ष पूर्व हुई यह घटने में दोनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई गई

अयोध्याNov 16, 2019 / 05:38 pm

Ruchi Sharma

High Court

कोर्ट

अयोध्या. राम नगरी अयोध्या उस समय तार तार हुई जब मासूम बालिका के साथ गैंगरेप के बाद उसके शव को नाले में फेंक दिया। पांच वर्ष पूर्व हुई यह घटने में दोनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई गई। साथ ही दोनों पर 1.35-1.35 लाख का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माने की आधी रकम पीड़ित परिवार को देने का आदेश दिया है। घटना में प्रकाश में आए दो अन्य आरोपियों की पत्रावली उच्च न्यायालय के आदेश पर अलग कर दी गई है।
अयोध्या जनपद केे बीकापुर कोतवाली क्षेत्र में हुुुई घटना में यह आदेश पॉक्सो एक्ट के स्पेशल जज असद अहमद हाशमी की अदालत से हुआ है। मामले में सरकारी पद से शासकीय अधिवक्ता विनोद उपाध्याय और वीरेंद्र प्रताप मौर्या ने पैरवी की थी।
जनपद के बीकापुर कोतवाली क्षेत्र स्थित भोजई का पुरवा चौरे चंदौली निवासी 6 वर्षीय बालिका वर्ष 2014 के अप्रैल माह के 11 तारीख को अपने घर से संदिग्ध हालात में लापता हो गई थी। पिता की ओर से पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी कि उनकी मासूम पुत्री संतोष नट और तेजपाल नट के साथ देखी गई है। खोजबीन के बाद बालिका का शव क्षेत्र में ही एक गड्ढे से बरामद हुआ था। पोस्टमार्टम के दौरान मासूम के साथ बलात्कार और अप्राकृतिक दुष्कर्म की पुष्टि होने के बाद बीकापुर पुलिस की ओर से मामले में भारतीय दंड विधान की धारा 376 (ए), (डी), 377, 302 और 201 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
विवेचना के दौरान घटना में शामिल दो अन्य अभियुक्त संतोष कुमार और इंद्र बहादुर यादव का नाम प्रकाश में आया था। शासकीय अधिवक्ता वीरेंद्र प्रताप मौर्य ने बताया कि प्रकार मासूम से जुड़ा होने के चलते मामले की सुनवाई स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट की अदालत को सौंपी गई थी।
उन्होंने बताया कि भादवि की धारा 302 के तहत दोनों को फांसी और 50-50 हजार का जुर्माना, 376 ए के तहत उम्र कैद और 25-25 हजार के जुर्माने, 376 डी अर्थात गैंगरेप के तहत उम्र कैद और 25-25 हजार के जुर्माने, 377 के तहत उम्र कैद और 25-25 हजार के जुर्माने और 201 के तहत 7 साल की सजा व 10-10 हजार के जुर्माने की सजा सुनाई है। अदालत ने जुर्माने की रकम का आधा पीड़ित परिवार को देने और दोनों को जेल भेजने का आदेश दिया है। प्रकरण में पुलिस विवेचना के दौरान प्रकाश में आए दो अभी तो संतोष और इंद्र बहादुर यादव की पत्रावली उच्च न्यायालय के आदेश पर अलग कर दी गई थी जिसके चलते अभी मामले के केवल नामजद आरोपियों के खिलाफ विचारण पूरा हो पाया है।
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