दीपोत्सव का यह है इतिहास
आचार्य सत्येंद्र दास कहते हैं कि श्री रामचरित मानस में वर्णित है कि भगवान राम लंका विजय कर जब पुष्पक विमान से अयोध्या के लिए रवाना हुए तब उन्होंने इसकी सूचना छोटे भाई भरत को देने के लिए अपने दूत हनुमान को अधिकृत किया। हनुमान से समाचार पाकर भरत नंदीग्राम से अयोध्या पहुंचे। इस शुभ समाचार के बाद अयोध्या महल में और पूरे अयोध्या नगर में रोशनी की गयी। तब से यह परंपरा चली आ रही है। आज भले ही भगवान राम टाटपट्टी में विराजमान हैं फिर भी दीपावली के मौके पर पहला दीपक राम जन्मभूमि पर ही जलाया जाता है।
1000 कलाकार सुनाएंगे रामकथा
इस बार दीपावली पर रथ पर सवार होकर 1000 कलाकार पूरी अयोध्या में घूमघूककर हर गली कूंचे में त्रेतायुग की रामकथा सुनाएंगे। छोटी दीपावली को राजा राम का राज्याभिषेक होगा। इस बार का राज्याभिषेक भी अनूठा होगा। भव्य आयोजन में भगवान राम के जीवन काल से जुड़ी तमाम घटनाओं और प्रसंग का मंचन होगा। रामराज्य की तरह ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भगवान राम का राजतिलक करेंगे। त्रेतायुग मे वर्णित विहंगम शोभायात्रा निकाली जाएगी। इसमें सेनाओं का उद्घोष और रथों और घोड़ों की टॉप सुनाई देगी।
देशभर के लोकनृत्यों की बंधेगी शमां
राज्याभिषेक को यादगार बनाने के लिए देश भर से करीब 24 नृत्य विधाओं के कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। इसके अलावा नेपाल,श्रीलंका,इंडोनेशिया, से ज्यादा आमंत्रित हैं। ये रामकथा को अपने अंदाज से पेश करेंगे। विभिन्न जातियों के इस लोकनृत्य से समरसता का संदेश देने की कोशिश होगी। लोकनृत्यों में फरवाही, डफला, बधावा, पाई डंडा, धोबिया, कठियाई, कर्मा, राई सैरा, बुंदेली लोक, कोल हाई, हरियाणवी, बरेदी, कालबेलिया, सपेरा जैसे लोकनृत्यों को प्रस्तुत किया जाएगा। जबकि, श्रीलंका और इंडोनेशिया की रामलीला कमेटियां रामलीला पेश करेंगी।