छह हजार मंदिरों में जलाए जाते हैं मिट्टी के दीये श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास बताते हैं कि श्रीराम जन्मभूमि विवादित परिसर में विराजमान रामलला के गर्भ गृह में हर वर्ष दीपावली पर विशेष पूजन होता है। इस मौके पर रामलला समेत अयोध्या के करीब छह हजार छोटे-बड़े मंदिरों में भगवान के गर्भगृह में मिट्टी के ही दीपक जलाए जाते हैं। इसके पीछे मान्यता यह है कि धरती माता की कोख से निकली मिट्टी के बने दिए के प्रकाश से ही धन-धान्य और संपदा बरसती है। अंधकार का नाश होता है। भगवान का विशेष श्रृंगार किया जाता है, उन्हें नए वस्त्राभूषण पहनाए जाते हैं। भगवान को पहनाए जाने वाले वस्त्र और आभूषण का चुनाव महीने भर पहले हो जाता है। इसके लिए देश और विदेश से भक्तों का आग्रह आता है। भक्तों से चढ़ावे के रूप में मिले वस्त्र और आभूषण भगवान को पहनाए जाते हैं।
अयोध्या में इस तरह होती है दीपावली की पूजा राम वल्लभा कुञ्ज के मुख्य अधिकारी राजकुमार दास महाराज के अनुसार सदियों से ही मंदिरों में दीपावली के पर्व पर भगवान का विशेष रूप से श्रृंगार किया जाता है। उन्हें नए वस्त्र पहनाए जाते हैं। तरह-तरह के पकवान का भोग लगता है। राम के दरबार में शुद्ध घी के दीपक जलाए जाते हैं। भगवान के सामने फुलझड़ी और आतिशबाजी की जाती है। मंदिरों के मुख्य पुजारी की पूजा अर्चना के बाद अन्य साधु-संत समाज पूजा करता है। इसके बाद आम जन दीपक जलाते हैं लेकिन इनके दीपक गर्भगृह में नहीं जलते।