श्री रामलला के मंदिर निर्माण के बीच लुप्त हो रही प्राकट्य उत्सव की परंपरा
श्री रामजन्मभूमि परिसर में 71 वर्षों से मनाए जाने वाली प्राकट्य उत्सव की परंपरा से सेवा समिति के सदस्यों ने बनाई दूरी

अयोध्या : राम जन्मभूमि परिसर में भले ही भगवान श्री रामलला का भव्य मंदिर निर्माण शुरू हो चुका हो लेकिन श्री रामलला के प्राकट्य उत्सव को लेकर सन 1949 से चल रही परंपरा अब विलुप्त होने की कगार पर है। इस परंपरा को चलाने वाली श्री राम जन्मभूमि सेवा समिति के सदस्यों ने इस आयोजन से दूरी बना रहे हैं लेकिन इस परंपरा को निभाने के लिए महामंत्री रामप्रसाद मिश्रा ने क्षीरेश्वर नाथ महादेव मंदिर पर प्रतीकात्मक कलश स्थापना कर शुरुआत कर दी है।
श्री राम जन्मभूमि परिसर में 1949 को भगवान श्री रामलला का प्राकट्य हुआ था जिसके बाद उस स्थान पर पूजन अर्चन के लिए श्री रामजन्भूमि सेवा समिति का गठन किया गया। यह समिति पिछले 1991 तक राम जन्मभूमि परिसर के अंदर प्राकट्य उत्सव बड़े ही भव्यता से मनाते रहे लेकिन 6 दिसंबर 1992 को कार सेवकों द्वारा विवादित ढांचा विध्वंस किए जाने के बाद इस स्थान को केंद्र सरकार द्वारा अधिग्रहित कर दिया गया ओक इस मामले को लेकर मुस्लिम हिंदू विवाद शुरू होगा और यह मामला कोर्ट पहुंच गया था। इस अधिग्रहण के बाद श्री राम जन्मभूमि सेवा समिति इस आयोजन को परिसर के निकट स्थित क्षीरेश्वर नाथ महादेव मंदिर पर प्रारंभ किया और 28 वर्षों तक चले इस विवाद के दौरान परिसर के बाहर इस आयोजन को प्रतीकात्मक रूप में किया जाता रहा है वही अब इस मामले की समाप्ति होने के बाद सरकार द्वारा श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गठन कर दिया है। समिति के गठन के बाद श्री राम जन्मभूमि सेवा समिति ने प्रकट उत्सव के आयोजन स्थिति दिखाई दे रही है क्योंकि इस वर्ष श्री रामलला प्रकट उत्सव के आयोजन से समिति के सदस्यों ने दूरी बना ली है जिसके कारण अब यह परंपरा समाप्त होने की कगार पर है।
श्री राम जन्मभूमि सेवा समिति के महामंत्री रामप्रसाद मिश्रा ने बताया कि इस समिति के अध्यक्ष के निधन के बाद अन्य सदस्यों ने भी आयोजन किए जाने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं इसलिए आज इस परंपरा को बनाए रखने के लिए कलश स्थापना किया हूं अब इस कलश को 14 जनवरी को राम जन्मभूमि परिसर में स्थापित करने के लिए पुजारी सत्येंद्र दास को सौंपेंगे और 15 दिसंबर को कलश विसर्जन किया जाएगा। वही इस दौरान निकलने वाली शोभायात्रा पर अभी किसी भी प्रकार का विचार देने से इनकार किया है।
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