scriptपहली बार रात्रि में खुलेगा श्री रामलला का अस्थाई मंदिर | For the first time, the temporary temple of Sri Ramlala will open at n | Patrika News

पहली बार रात्रि में खुलेगा श्री रामलला का अस्थाई मंदिर

locationअयोध्याPublished: Aug 12, 2020 11:13:03 am

Submitted by:

Satya Prakash

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर सजेगा अयोध्या का मठ मंदिर , रात्रि 12 बजे उतारी जाएगी आरती

पहली बार रात्रि में खुलेगा श्री रामलला का अस्थाई मंदिर

पहली बार रात्रि में खुलेगा श्री रामलला का अस्थाई मंदिर

अयोध्या : ( जग में सुंदर है दो नाम चाहे कृष्ण कहो या राम ) राम नगरी अयोध्या में भगवान श्री कृष्ण का जन्माष्टमी बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। सुबह से ही मंदिरों में भारी भीड़ रही। वही 12 अगस्त को रामजन्मभूमि परिसर में विराजमान भगवान श्री रामलला के अस्थाई मंदिर में भी भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव देर रात्रि मनाया जाएगा। जिसको लेकर मंदिरों में उत्सव शुरू हो गया है।
भगवान श्री कृष्ण का जन्माष्टमी वैसे तो मथुरा वृंदावन में प्रमुख रूप से इस पर्व को मनाया जा रहा है। लेकिन राम नगरी अयोध्या के मंदिरों में भी भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। जिसको लेकर अयोध्या के मंदिरों में उत्सव प्रारंभ कर दिया गया है रात्रि 12:00 बजे भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव पर भव्य आरती किया जाएगा लेकिन कोरोना के कारण नगर में इस वर्ष बड़े-बड़े पंडाल नहीं सजाए जा सकेंगे वहीं मंदिरों में भी होने वाले इस उत्सव को सीमित रखा जाएगा जिससे बड़ी संख्या में लोग एक स्थान पर एकत्रित ना हो सके। वही रामजन्मभूमि परिसर में श्री रामलला के दरबार में भी रात्रि 12:00 बजे जन्मोत्सव मनाया जाएगा लेकिन इस दौरान कोई भी श्रद्धालु दर्शन के लिए नहीं पहुंच सकेगा।
रामजन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के मुताबिक रामलला बा भगवान श्री कृष्ण का अलग-अलग युग के एक ही अवतार हैं। इसलिए जिस प्रकार से भगवान श्री रामलला का जन्म उत्सव मनाया जाता है उसी तरह भगवान श्री कृष्ण का भी जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से विधि-विधान पूर्वक मनाया जाएगा। भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात्रि 12:00 बजे हुआ था इसलिए प्रत्येक वर्ष रात्रि को 12:00 बजे भगवान के जन्मोत्सव पर भव्य आरती पूजन किया जाता है इस बार भगवान श्री रामलला अपने अस्थाई मंदिर में विराजमान हैं इसलिए अभी तक टेंट में यह जन्म उत्सव मनाया जाता रहा है लेकिन अब पहली बार अस्थाई मंदिर के अंदर जन्मोत्सव का आयोजन किया जाएगा।

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