राम नगरी अयोध्या में सावन माह के प्रारम्भ होते ही राम जन्मभूमि के निकट स्थित रंगमहल और सद्गुरु सदन में भगवान के झुलानोत्सव शुरू हो गया. इस महोत्सव में अदभुद झाँकियो के बीच भगवान को झूले पर सवार कर दिया जाता है और पुरे माह भव्य आरती व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का उल्लास रहता है। लेकिन इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण होने वाले भव्य आयोजन को सीमित कर दिया गया है अब यह आयोजन मंदिरों के गर्भगृह में भगवान का झुलानोत्सव का आयोजन बिना भक्तों के किया जा रहा है। इस दौरान भगवान राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न चारों भाई अलग-अलग सोशल डिस्टेंसिंग के तहत भूले पर विराजमान होकर झूला झूल रहे हैं
रंगमहल के महंत राम शरण दास ने बताया कि रंग महल में सावन के शुरूवात के साथ झूलनोत्सव के आयोजन की परम्परा है। इस उत्सव में भगवान की अदभुद स्वरूप को झूले में बैठते है और भव्य आरती तथा संस्कृतिक भजन संध्या का कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है. लेकिन अयोध्या में अधिकतर मंदिरों में यह झूलनोत्सव मणि पर्वत पर भगवान को झुला झुलाने से शुरू किया जाता है जो कि सावन शुक्ल पक्ष के साथ शुरू होता है. वह बताया कि ईश्वर महामारी को देखते हुए श्रद्धालुओं व बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक लगा दिया गया है कोई भी भक्त झूलनोत्सव उत्सव में शामिल होने नहीं पहुंच सकता वही मंदिर परिसर में रहने वाले साधु संत की सोशल डिस्टेंसिंग के साथ इस महोत्सव को परंपरागत ही धूमधाम से मना रहे हैं। वही बताया कि इस दौरान महामारी को देखते हुए सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार भगवान अपने पत्नियों के साथ सोशल डिस्टेंसिंग के तहत जिले पर विराजमान हैं।