तीन ट्रस्ट पहले से सक्रिय दरअसल श्री राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद का विवाद कोर्ट में होने के बावजूद विराजमान रामलला का भव्य मंदिर बनाने के लिए तीन ट्रस्ट पहले से सक्रिय थे। सबसे पुराना 1985 में बना ट्रस्ट विश्व हिंदू परिषद का श्रीरामजन्मभूमि न्यास है। दूसरा विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव राव की पहल पर बना रामालय है। तीसरा ट्रस्ट जानकीघाट बड़ा स्थान के महंत जनमेजय शरण की अगुवाई में श्रीरामजन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास भी इन्हीं दोनों ट्रस्टों से इतर दावेदारी करता है।
सबसे पुराना विहिप का ट्रस्ट 1985 में बने विहिप की अगुवाई वाले श्रीरामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष मणिरामदास छावनी के महंत नृत्य गोपाल दास हैं। इस ट्रस्ट की राम मंदिर निर्माण के लिए यहां 1990 में खोली गई पत्थर तराशी और मूर्ति निर्माण की तीन कार्यशाला में चलती हैं। ट्रस्ट की अरबों की जमीन है। राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के खाते में शिलादान अभियान से मिली करीब आठ करोड़ की नकदी है। मंदिर निर्माण के फैसले के बाद अयोध्या से लेकर दिल्ली तक विहिप नेता इसी ट्रस्ट के माध्यम से मंदिर बनाने का दावा कर रहे हैं।
रामालय ट्रस्ट का गठन उधर 6 दिसंबर 1992 को ढांचा ढहाए जाने के बाद 1995 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव के प्रयास से द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती समेत 25 धर्माचार्यों ने अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर राममंदिर बनाने के लिए रामालय ट्रस्ट का गठन किया था। तब इसके संयोजक जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य थे। श्रृंगेरीपीठ के धर्माचार्य स्वामी भारती भी ट्रस्ट में शामिल थे। वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रामालय ट्रस्ट (Ramalay Trust) के सचिव स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद मंदिर बनाने का लीगल अधिकार होने का दावा कर रहे हैं। साथ ही विश्व हिंदू परिषद के ट्रस्ट को अधिग्रहण के पहले का बना होने की वजह से अवैधानिक ठहराते हैं। वह यह भी करते हैं कि महंत जनमेजय शरण हमारी कार्यकारिणी में हैं।
गृह मंत्रालय के अधीन होगा सरकारी ट्रस्ट राम मंदिर निर्माण के लिए प्रस्तावित नया और चौथा ट्रस्ट गृह मंत्रालय (Home Ministry) के अधीन होगा। ट्रस्ट पूरी तरह से केंद्र सरकार का होगा और यदि जरूरत पड़ी तो सरकार मंदिर निर्माण के लिए और भी जमीन अधिगृहीत कर सकती है। मस्जिद को दी जाने वाली जमीन संभवत: राज्य सरकार को देने को कहा जाएगा। सूत्रों के मुताबिक शीर्ष स्तर पर तय किया गया कि ट्रस्ट गृह मंत्रालय के अधीन होगा और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार ट्रस्ट केंद्र सरकार का ही होगा। केंद्र सरकार ट्रस्टी नियुक्त कर राममंदिर निर्माण के बाद उसे स्वायत्त बना सकती है। ट्रस्ट में मुख्यत: सरकारी अधिकारी होंगे। धर्म गुरुओं को सलाहकार के तौर पर ट्रस्ट में जगह मिल सकती है। कोर्ट के आदेश के अनुसार निर्माण कार्य केंद्र सरकार को करना चाहिए, लेकिन सरकार धार्मिक स्थलों का निर्माण नहीं करती। सरकार धर्मनिरपेक्ष होती है। इसलिए चंदा लेने की प्रक्रिया पर विचार हो रहा है। सोमनाथ मंदिर भी जनता के चंदे से बना था।
सबका अपना राग सब हमारे अधीन श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के मुताबिक अब ज्यादा समय नहीं रह गया है। पहले से ही कार्यशाला में शिलाखंड तैयार हैं उन्हीं को लेकर वहां लगाया जाएगा। न्यास के अध्यक्ष हम हैं सब हमारे अधीन रहेंगे, मोदी जी-योगी जी के अधीन रहेगा।
राममंदिर के लिए हम लड़े महंत मणिरामदास की छावनी के उत्तराधिकारी और श्रीराम जन्मभूमि न्यास के सदस्य महंत कमलनयन दास ने कहा कि मंदिर का निर्माण हमारा ट्रस्ट करेगा। संघ और संतों ने मिलकर राम मंदिर की लड़ाई लड़ी।
सरकार से नहीं लेंगे फूटी कौड़ी हम मंदिर निर्माण के लिए सरकार से फूटी कौड़ी भी नहीं लेंगे, हजारों करोड़ रुपये की भूमि मिलते ही भक्त व्यवस्था करेंगे। मोदी सरकार बनाए राममंदिर
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास के अध्यक्ष महंत जन्मेजयशरण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को राम मंदिर के लिए ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है, किसी पुराने ट्रस्ट को नहीं। सरकारी ट्रस्ट से होगा विकास
रामलला विराजमान के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत नया ट्रस्ट बने, तभी विकास होगा। विहिप का कुछ नहीं निर्मोही अखाड़ा के पक्षकार महंत दिनेंद्र दास कहते हैं कि विश्व हिंदू परिषद को मंदिर निर्माण के लिए एकत्रित धन से लेकर ईंट, शिलाएं और संपत्तियां सरकार को दे देनी चाहिए।
सरकारी ट्रस्ट ही बनाए मंदिर बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी कहते हैं राम मंदिर निर्माण का अधिकार सरकार द्वारा बनाए गए ट्रस्ट को है। उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सारी चीजों को गहराई से समझेंगे।