Ayodhya Development : आखिर अयोध्या में विकास की ये कैसे व्यवस्था
सुंदर बनाई जा रही अयोध्या में श्मशान घाट की बिखरी व्यवस्था, नगर निगम ने कहा मेरे अधिकार में नही

पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क
अयोध्या. सीएम योगी अयोध्या को सबसे सुंदर व व्यवस्थित नगरी बनाए जाने के प्रयास में है। लेकिन मोक्षदायनी सरयू के तट स्थित श्मशान घाट पर अव्यवस्था बनी हुई है। स्थानिय लोगो की मांग पर नगर निगम ने आने अधिकार क्षेत्र के बाहर होने का हवाला दिया। जब प्रत्येक दिन 50 से अधिक अंतिम संस्कार के लिए अलग अलग जनपदों से अयोध्या पहुंचते हैं।
राम नगरी अयोध्या को त्रेतायुग की नगरी बनाये की मंशा केंद्र व प्रदेश सरकार ने जताई है। जिसको लेकर कई योजना प्रस्तावित है। लेकिन सरयू तट स्थित शमशान घाट पर लगभग एक दर्जन जनपदों से अंतिम संस्कार के लिए पहुंचते हैं। लेकिन यहां पर केवल गंदगी का अंबार है मूलभूत सुविधाओं का टोटा है और दूर-दराज तक कहीं पर भी कोई व्यवस्था ऐसी नहीं है जिससे यह कहा जा सके कि अपने परिजनों को आखिरी विदाई देने आए लोग अपने दुखी मन को कहीं बैठकर कुछ देर विश्राम कर सकें श्मशान घाट के किनारे स्थित सरयु पर गंदगी का अंबार है जहां पर स्नान तो दूर आचमन भी नहीं किया जा सकता हो शमशान घाट पर आने वाले लोगों के लिए बैठने की ना तो व्यवस्था है और ना ही पीने का साफ पानी इतना ही नहीं श्मशान घाट तक जाने के लिए यदि आप सोच रहे हैं मार्ग है तो फिर आप गलत है वहां पर जाने के लिए भी रास्ता नहीं है कई मीटर लंबा रास्ता पैदल चलकर पार करना पड़ता है और जिंदगी जोखिम में डालने के बाद बांस के पुल से आप सरयू के तट पर जाएंगे यह तस्वीरें अयोध्या के श्मशान घाट की हैं जो अपनी सच्चाई खुद ही बयान कर रही है। स्थानीय लोगो ने नगर निगम से मांगी व्यवस्था तो अधिकारियों ने कहा मेरे अधिकार में नही।
आसपास के जिलों से अपने परिजनों को लेकर अयोध्या पहुंचे श्रद्धालु भी अयोध्या के श्मशान घाट की दुर्दशा देखकर अचंभित हैं उनको लगता है कि अयोध्या के विकास के साथ अयोध्या के श्मशान घाट का भी विकास होना चाहिए था क्योंकि आसपास के जिलों के लिए एकमात्र अपने परिजनों को अंतिम बिदाई देने का एक केंद्र है धार्मिक मान्यता है कि सरयु के तट पर अंतिम विदाई देने से मोक्ष प्राप्त होती है यही कारण है कि अयोध्या सहित गोंडा बलरामपुर सुल्तानपुर अंबेडकरनगर और बाराबंकी से भी लोग ज्यादातर अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करने अयोध्या आते हैं और यहीं पर उनको अंतिम विदाई देते हैं।
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