ओवैसी की बातों का कोई महत्व नहीं आचार्य सत्येंद्र दास (Acharya Satyendra Das) ने कहा कि ओवैसी की बातों को कोई महत्व नहीं देता। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में वह सांसद जरूर हो गए हैं लेकिन उनके अंदर गंभीरता नाम की कोई चीज नहीं है। वह सिर्फ विरोध करना ही जानते हैं। सत्येंद्र दास के मुताबिक उनका उद्देश्य माहौल खराब करके राजनीति करना है। मुसलमानों को भड़का कर राजनीति करना ही ओवैसी का असल मकसद है। वहीं बाबरी पक्षकार इकबाल अंसारी (Iqbal Ansari) ने कहा कि मैं ओवैसी को नहीं जानता। उनका नाम नहीं लेता। वह क्या कहते हैं और क्या नहीं, मुझे पता नहीं। अंसारी के मुताबिक मैं अयोध्या का पक्षकार हूं। मैं अपनी बात करता हूं। इस फैसले से मैं पूरी तरह से सहमत हूं। मैंने पूरी दुनिया के सामने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकारा है।
सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश बाबरी पक्षकार इकबाल अंसारी (Iqbal Ansari) के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला किया है मैं उसका सम्मान कर रहा हूं। कोर्ट ने हमें 5 एकड़ की जमीन दी है। सरकार तय करेगी कि हमें कहां जमीन देगी। उस जमीन का क्या करना है यह हम तय करेंगे, लेकिन हम ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे सौहार्द बिगड़े। उन्होंने कहा कि जमीन हम लेंगे और देश में अमन चैन कायम रहे ऐसा कार्य करेंगे। हम सौहार्द बनाने का काम करते हैं, लेकिन कुछ लोग जरूर सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
रामलला विराजमान को दी गई विवादित जमीन
आपको बता दें कि 9 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद (Ram Janmabhoomi Babri Masjid Vivad) में विवादित जमीन रामलला विराजमान को देने की बात कही है। वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन अयोध्या में कहीं भी देने का आदेश दिया गया है। दरअसल सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अयोध्या विवाद पर लगातार 40 दिन तक सुनवाई के बाद 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसला पढ़ते हुए सीजेआई गोगोई ने निर्मोही अखाड़ा और शिया वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज कर दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि हिंदू पक्ष ने जिरह के दौरान ऐतिहासिक साक्ष्य (सबूत) पेश किए। उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि आस्था के आधार पर जमीन के मालिकाना हक पर फैसला नहीं किया जाएगा।