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उत्सव : रामनगरी अयोध्या में झूमते नाचते गाते निकली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा

locationअयोध्याPublished: Jul 15, 2018 12:44:15 am

रथयात्रा अयोध्या के जगन्नाथ मंदिर, राम कचहरी मंदिर, दशरथ महल, हनुमत् निवास, मणिराम दास छावनी, सहित दर्जनो मंदिरों निकाली गई

Jagannath Rathyatra Festival 2018 Celebrated In Ayodhya

Jagannath Rathyatra Festival 2018


अयोध्या. राम नगरी अयोध्या में भी आस्था और श्रद्धा के साथ भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा महोत्सव मनाया गया. यह रथयात्रा महोत्सव उड़ीसा के जगन्नाथपुरी में मुख्य रूप से मनाया जाता है उसी के तर्ज पर अयोध्या में भी सैकड़ो वर्षो से भगवान जगन्नाथ का रथयात्रा महोत्सव मनाया जाता है . जिसमे शामिल होने के लिए देश भर के लोग शामिल होते है. इसलिए आज अयोध्या में दर्जनो प्रमुख मंदिरों से भगवान जगन्नाथ और उनकी बहन सुभद्रा की शोभायात्रा बड़े ही धूम धाम से बाजे गाजे के साथ भक्त नाचते गाते हुए निकाली गई.
शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरी रथयात्रा

राम की नगरी अयोध्या मे श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के प्रति आस्था के भाव भोर होकर सडको पर झूमते हुए नाचते हुए हुए निकले इस रथ यात्रा में बैंड बाजा व हाथी घोड़ा के साथ रथयात्रा को निकाला गया. यह रथयात्रा अयोध्या के जगन्नाथ मंदिर, राम कचहरी मंदिर, दशरथ महल, हनुमत् निवास, मणिराम दास छावनी, सहित दर्जनो मंदिरों निकाली गई. जो कि अयोध्या के मुख्य मार्ग होते हुए हनुमान गढ़ी, राम घाट से सरयू घाट तक गई जहाँ भगवान की भव्य आरती कर पुनः मुख्य मार्ग होते हुए अपने स्थान पर पहुची
हिन्दू समाज मे समरस्ता स्थापित करती है रथयात्रा महोत्सव

अयोध्या धूमधाम से मनाये जा रहे रथयात्रा महोत्सव को लेकर श्रीराम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष मणिराम दास छावनी के महंत नृत्य गोपाल दास ने बताया कि देश में हिन्दू परम्पराओं को जीवित रखना और उसे सर्वव्यापी स्वरूप देना ही संत धर्माचार्यो और भक्तों का कर्तव्य है।जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा हिन्दू समाज मे समरस्ता स्थापित कर हिन्दुओ को एक सूत्र मे बांधे हुए है. यह मात्र यात्रा नही, यह हमारे धार्मिक जीवन मूल्यो की रक्षा करने वाली महाऔषधि है. जिसके कारण विश्व का हिन्दू विसमता से समता मे निरूपित हो जाता है. कहा कि भगवान हर युग मे भक्तों को दर्शन देने के लिये प्रकट होते है अवश्यक्ता है भक्त उन्हें अपने अतः कारण से पुकारे . जगन्नाथ भगवान की यात्रा का उद्देश्य इसी से परिभाषित होता है कि लाखो लोग समरस भाव से रथ को खीचने मे एकाग्रता और एकात्मता का परिचय देते है वही जिस श्रद्धा और भक्ति से पुरी के मन्दिर में सभी लोग बैठकर एक साथ श्री जगन्नाथ जी का महाप्रसाद प्राप्त करते हैं उससे वसुधैव कुटुंबकम का महत्व स्वत: परिलक्षित होता है. इससे संदेश जाता है कि हमारे पर्व त्योहार और मेले सभी सामाजिक जीवन मूल्यो को अक्षुणता प्रदान करने वाले है.आज समाज को पथभ्रष्ट करने की साजिश की जा रही है पूर्व मे भी इसी प्रकार के षडयंत्र चले लेकिन वह हमारी संस्कृति और परम्पराओ को समाप्त नही कर पाये. पूर्व और आज वर्तमान मे भी हम अपने लोक एंव जनकल्याणकारी पथ के अनुगामी बने हुए निरंतर बढ रहे है .
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