अयोध्या

अयोध्या के मणि पर्वत से शुरू होता है झुलानोत्सव का पर्व

राम नगरी अयोध्या में श्रावण शुक्ल तृतीया को मणि पर्वत पर लगाता है विशाल मेला

अयोध्याJul 06, 2018 / 11:36 pm

Satya Prakash

अयोध्या के मणि पर्वत से शुरू होता है झुलानोत्सव का पर्व

अयोध्या : विश्व विख्यात रामनगरी अयोध्या में कुछ ऐसी प्राचीन व ऐतिहासिक धरोहर के चिन्ह के रूप में आज भी है जो कि रामायण में लिखीं प्रसंगों को चरितार्थ करती है | ऐसी ही अयोधया में एक प्राचीन धरोहर है ऐतिहासिक स्थल मणि पर्वत. इस स्थान को लेकर वैसे तो रामायण में इस बात का उल्‍लेख किया है कि जब भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्‍मण को मेघनाद ने युद्ध के दौरान घायल कर दिया था तभी संजीवनी बूटी लाने गए हनुमान जी ने पूरा पहाड़ ही उठाकर लेकर आ रहे थे तो पहाड़ का छोटा सा हिस्‍सा यहां गिर गया था. जिसको मणि पर्वत का नाम दिया गया. इस मणि पर्वत की ऊंचाई 65 फीट है लेकिन स्थान के महत्व को लेकर और भी कई महत्व सामने आ रही है जिसके कारण इस स्थान पर प्रति वर्ष सावन के महीने में विशाल झूलनोत्सव मेला इस पर्वत को एक पहचान देता है .
श्रावण शुक्ल तृतीया से शुरू होता है झूलनोत्सव

इस वर्ष 28 जुलाई माह से सावन के झूला मेला का शुरुवात होगा जिसको लेकर अयोध्या के मंदिरों को सजाने के कार्य किया जा रहा है, अयोध्या में झूलनोत्सव की शुरुवात भगवान के विग्रह को मणि पर्वत पर झूला झूलने के साथ हो जाता है। इस झूलनोत्सव की परंपरा को कई हजारो वर्षो से चल रही है अयोध्या के सभी मंदिरों के विग्रह को श्रावण शुक्ल तृतीया की तिथि को इस स्थान पर झुला झुलाते है उसके बाद पूरी अयोध्या के सभी मंदिरों में झुलानोत्सव की शुरुवात हो जाती है.
माता सीता द्वारा शुरू हुआ झूलनोत्सव को परम्परा

इस झूलनोत्सव की परम्परा से मणि पर्वत का विशेष महत्व माना जाता है मणि पर्वत मंदिर के पुजारी ने बताया कि अयोध्या में झूलनोत्सव की परम्परा आदिकाल से है यह परम्परा माता सीता जब विवाह के उपरांत अयोध्या पहुची थी. श्रावण माह को मनाने के लिए माइके जाती है लेकिन सीता माता जनकपुर ना जाकर इस स्थान को ही माइके मानकर इस स्थान पर पंचमी मनाई और झुला झूली थी तभी से इस स्थान को पर झूलनोत्सव की परम्परा चल रही .

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