scriptअयोध्या : कार्तिक में करें कल्पवास मिलेगी भगवान श्री हरी की विशेष कृपा  | Kalpwas With respect to being in Ayodhya | Patrika News
अयोध्या

अयोध्या : कार्तिक में करें कल्पवास मिलेगी भगवान श्री हरी की विशेष कृपा 

कार्तिक माह के प्रारम्भ होने के साथ रामनगरी अयोध्या के सरयू तट के किनारे कल्पवासियों के जमावड़ा शुरू हो गया है और बड़ी आस्था और श्रधा के साथ लोग कल्पवास कर अपने धार्मिक अनुष्ठान सम्पूर्ण कर रहे हैं 

अयोध्याOct 20, 2016 / 10:00 am

अनूप कुमार

Saryu Ghat Ayodhya

Saryu Ghat Ayodhya

अयोध्या | कार्तिक माह के प्रारम्भ होने के साथ रामनगरी अयोध्या के सरयू तट के किनारे कल्पवासियों के जमावड़ा शुरू हो गया है और बड़ी आस्था और श्रधा के साथ लोग कल्पवास कर अपने धार्मिक अनुष्ठान सम्पूर्ण कर रहे हैं | ऋतु परिवर्तन की दृष्टि से कार्तिक का महीना समशीतोष्ण होता है। भारतीय परंपरा में इसे महीनों में सर्वोत्तम बताया गया है। अर्जुन को गीता का ज्ञान देते वक्त भगवान कृष्ण ने खुद को महीनों में कार्तिक बताया था। इस महीने व्रत त्योहारों की संख्या भी अधिक होती है। करवा चौथ से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक शायद ही कोई दिन हो जिस दिन का विशेष महत्व न हो।
इन नियमों का पालन करने से मिलेगा कल्पवास का फल 

दिन में एक बार स्वयं पकाया हुआ स्वल्पाहार अथवा बिना पकाया हुआ फल आदि का सेवन करना जिस से भोजन पकाने के चलते साधक हरि आराधना से विमुख न हो जाये।दरअसल, कल्पवास एक प्रकार की साधना है, जो पूरे कार्तिक मास के दौरान पवित्र नदियों के तट पर की जाती है। लेकिन इसके नियम इतने सरल नहीं हैं। कल्पवास स्वेच्छा से लिया गया एक कठोर संकल्प है। इसके प्रमुख नियम हैं- प्रमुख पर्वो पर उपवास रखना दिन भर में तीन बार पवित्र नदियों में स्नान करना।
त्रिकाल संध्या वंदन,भूमि शयन और इंद्रिय शमन,ब्रह्मचर्य पालन,जप, हवन, देवार्चन, अतिथि देव सत्कार, गो-विप्र सन्न्यासी सेवा, सत्संग, मुंडन एवं पितरों का तर्पण करना सामान्यत: गृहस्थों के लिए तीन बार गंगा स्नान को श्रेयस्कर माना गया है। विरक्त साधू और सन्न्यासी भस्म स्नान अथवा धूलि स्नान करके भी स्वच्छ रह सकते हैं। कल्पवास गृहस्थ और संन्यास ग्रहण करने वाले स्त्री-पुरुष सभी कर सकते हैं। लेकिन उनका कल्पवास तभी पूर्ण होता है, जब वे सभी नियमों का पालन पूर्ण आस्था और श्रद्धा के साथ करेंगे।
पुराणों में वर्णित है कल्पवास का महत्व 

कल्पवास का महत्व तमाम पुराणों में भी वर्णित है। कल्पवास के दौरान गृहस्थों को शुद्ध रेशमी अथवा ऊनी, श्वेत अथवा पीत वस्त्र धारण करने की सलाह शास्त्र देते हैं।कल्पवास सभी स्त्री एवं पुरुष बिना किसी भेदभाव के कर सकते हैं।विवाहित गृहस्थों के लिए नियम है कि पति-पत्नी दोनों एक साथ कल्पवास करें। विधवा स्त्रियां अकेले कल्पवास कर सकती हैंशास्त्रों के अनुसार इस प्रकार का आचरण कर मनुष्य अपने अंत:करण एवं शरीर दोनों का कायाकल्प कर सकता है।एक कल्पवास का पूर्ण फल मनुष्य को जन्म-मरण के बंधन से मुक्त कर कल्पवासी के लिए मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।
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