अयोध्या

राम मंदिर पर फैसले के बाद 105 गांव के परिवार 500 साल बाद पहनेंगे पगड़ी और जूते

– राम मंदिर पर फैसला आने के बाद सूर्यवंशी क्षत्रिय समाज के 105 परिवार 500 साल बाद पहनेंगे पगड़ी और जूते
– इतने सालों में शादी में भी कभी नहीं पहने जूते और पगड़ी
– मुगलों से युद्ध हारने के बाद पूर्वजों ने ली थी प्रतिज्ञा

अयोध्याNov 19, 2019 / 02:58 pm

Karishma Lalwani

राम मंदिर पर फैसले के बाद 105 गांव के परिवार 500 साल बाद पहनेंगे पगड़ी और जूते

अयोध्या. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा रामलला विराजमान के फैसले ने अयोध्या व आसपास के गांव के परिवारों की 500 साल पुरानी कसम को तोड़ दिया। अयोध्या से सटे पूरा बाजार ब्लॉक व आसपास के 105 गांव का सूर्यवंशी क्षत्रिय परिवार 500 साल बाद सिर पर पगड़ी और पैरों में चमड़े के जूते पहनेगा। इसका कारण है राम मंदिर को लेकर उनका संकल्प पूरा होना। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इन परिवारों ने 500 साल बाद आम जिंदगी जीने का फैसला किया। दरअसल, सूर्यवंशी समाज के पूर्वजों ने मंदिर पर हमले के बाद इस बात की शपथ ली थी कि जब तक मंदिर फिर से नहीं बनेगा, तब तक वे सिर पर पगड़ी नहीं बांधेंगे, न ही छाते से सिर ढकेंगे और न ही चमड़े के जूते पहनेंगे। सूर्यवंशी क्षत्रिय अयोध्या के अलावा बस्ती के 105 गांव में रहते हैं। सभी परिवार खुद को भगवान राम का वंशज बताते हैं।
जूते चप्पल की जगह खड़ाऊ का इस्तेमाल

राम मंदिर पर फैसला आने के बाद सूर्यवंशी क्षत्रियों के करीब डेढ़ लाख परिवारों में पगड़ियां बांटी जा चुकी हैं। इतने वर्षों में सूर्यवंशी क्षत्रियों ने शादी में भी कभी पगड़ी नहीं बांधी। अयोध्या के भारती कथा मंदिर की महंत ओमश्री भारती का कहना है, ‘सूर्यवंशियों ने सिर न ढंकने का जो संकल्प लिया था, उसका पालन करते हुए शादी में अलग तरीके से मौरी सिर पर रखते रहे हैं, जिसमें सिर खुला रहता है। पूर्वजों ने जब जूते और चप्पल न पहनने का संकल्प लिया, तो उसकी जगह खड़ाऊ पहनना शुरू कर दिया। फिर बिना चमड़े वाले जूते-चप्पल आए तो उन्हें भी पहनने लगे, लेकिन चमड़े के जूते कभी नहीं पहने। उन्होंने बताया कि सूर्यवंशी क्षत्रियों के परिवार कोर्ट के फैसले से खुश हैं और उन्हें भव्य मंदिर बनने का इंतजार है।
मुगलों से युद्ध हारने के बाद लिया निर्णय

राम मंदिर को लेकर सूर्यवंशी क्षत्रियों के संकल्प की वजह है मुगलों से हारा हुआ युद्ध। इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस डीपी सिंह के मुताबिक, उनके पूर्वजों ने 16वीं सदी में मंदिर बचाने के लिए ठाकुर गजसिंह के नेतृत्व में मुगलों से युद्ध लड़ा था, जिसमें वे हार गए थे। हार के बाद ठाकुर गजसिंह ने पगड़ी व जूते न पहनने की प्रतिज्ञा ली थी। इसी प्रतिज्ञा का पालन उनकी पीढ़ियों ने भी किया।

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