भाजपा के अभेद्य दुर्ग के रूप में है फैजाबाद संसदीय सीट 5 साल के कार्यकाल पर सवाल जवाब करने के लिए हमारी टीम जब सरयू तट पर पहुंची तब हमने अयोध्या की उन लोगों से बातचीत की जो रोजाना अयोध्या की गलियों से होकर सरयू तट तक पहुंचते हैं और पूजा पाठ करते हैं। साथ ही सरयू घाट के किनारे अयोध्या का युवा वर्ग भी मिला जिसने वर्तमान सरकार की मणियाँ और आने वाली सरकार से उम्मीदें बताई। घाट पुरोहित समिति के अध्यक्ष ओम प्रकाश पांडे ने बताया कि अयोध्या के लिए राम मंदिर का निर्माण सबसे जरूरी है और यह काम सिर्फ बीजेपी सरकार कर सकती है। वहीं युवा वर्ग से जुड़े शिव शंकर पांडे ने कहा कि धर्म और आस्था का प्रतीक होने के साथ इस शहर के युवाओं को रोजगार के लिए कल कारखाने और शिक्षा के लिए अच्छे संस्थानों की जरूरत है। मंदिर तो हर नागरिक के मन में है लेकिन सिर्फ चुनावी मुद्दा राम मंदिर ना रहे बल्कि अयोध्या में रोजगार के माध्यम बढ़ाए जाने चाहिए। अयोध्या के रहने वाले सर्वजीत सिंह ने कहा कि सबसे जरूरी है कि लोगों की रोजी-रोटी चले इसके लिए जरूरी है कि यहां उद्योग व्यापार क्षेत्र में काम हो ,सरकार का कार्यकाल अभी तक ठीक-ठाक रहा है उम्मीद है आगे भी अच्छा रहेगा। स्थानीय नागरिक अनुराग मिश्र ने कहा कि 5 वर्षों की सरकार में अयोध्या में बहुत कुछ परिवर्तन देखने को नहीं मिला है। एक बार फिर से अयोध्या राम मंदिर के नाम पर ठगी का शिकार हुई है युवाओं के सामने बेरोजगारी बड़ी समस्या है। अयोध्या में अच्छे स्कूल कॉलेज नहीं है उच्च शिक्षा के लिए युवाओं को लखनऊ इलाहाबाद और दिल्ली जैसे शहरों की ओर करना पड़ता है।
कितने मतदाता कितने पोलिंग बूथ जिले की कुल जनसंख्या 278 0531, कुल मतदाताओं की संख्या 177 1395, महिला मतदाताओं की संख्या 822435, पुरुष मतदाताओं की संख्या 948869, जिले में कुल बनाए गए मतदान केंद्र 1128, जनपद में शहरी मतदान केंद्र 7 8, जनपद में ग्रामीण मतदान केंद्र 1050, शहरी मतदेय स्थल 1818, ग्रामीण मतदेय स्थल 149 बनाये गए हैं।
क्या हैं सियासी समीकरण करीब पानी तीन लाख जनसंख्या वाले इस जिले में लगभग पौने दो लाख मतदाता है जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या लगभग 95000 और महिला मतदाताओं की संख्या 82000 है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में करीब पौने दो लाख मतदाता विभिन्न दलों के प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। देश की सियासत में अहम किरदार निभाने वाला उत्तर प्रदेश और उत्तर प्रदेश की अयोध्या संसदीय सीट पर भी लड़ाई बेहद रोचक इसलिए हो गई है ,क्योंकि सपा बसपा गठबंधन द्वारा घोषित उम्मीदवार दलित और पिछड़े वोटों के अलावा अल्पसंख्यक वोट बैंक साथ लेकर एनडीए गठबंधन को कड़ी चुनौती दे रहे हैं। वहीं प्रियंका गांधी की सक्रिय राजनीति में मौजूदगी एनडीए गठबंधन के लिए समस्या बन सकती है। ऐसे में सत्ता के विपक्ष में मतदान की संभावनाएं बढ़ गई हैं। हालांकि बीते चुनावी नतीजों के अलावा अयोध्या की सरजमी से भाजपा के पक्ष में बहने वाली हवा का फायदा जरूर भाजपा प्रत्याशी को मिलेगा।
क्या हैं जातीय समीकरण इस बार के चुनाव में फैजाबाद संसदीय सीट 54 संख्या पर 6 मई को मतदान होना है। जातीय समीकरण के मुताबिक़ फैजाबाद संसदीय क्षेत्र में पिछड़ी जाति के सर्वाधिक मतदाता हैं जिसके बाद दलित और फिर सवर्ण मतदाता हैं। हर बार के चुनावी नतीजों में पिछड़े और दलित वोटरों ने निर्णायक की भूमिका निभायी है ,इसलिए हर राजनैतिक दल की निगाह इसी वोट बैंक पर है। एक बड़ी वजह ये भी है कि सपा बसपा गठबंधन इस सीट पर अपनी जीत के दावे को मजबूत बता रहा है।
किस पार्टी से कौन हो सकता है इस चुनाव में प्रत्याशी इस सीट पर पिछले चुनाव में भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह ने सपा प्रत्याशी तेज नारायण पांडे को करारी शिकश्त दी थी , वहीँ कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल खत्री तीसरे और बसपा को चौथे स्थान पर संतोष करना पड़ा था ,इस बार भी तस्वीर में कुछ ख़ास फेरबदल नज़र नहीं आ रहा है,कांग्रेस ने सबसे पहले अपने प्रत्याशी के तौर पर एक बार फिर निर्मल खत्री पर दांव लगाया है तो भाजपा और सपा बसपा गठबंधन ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन संभावनाएं यही हैं कि बीजेपी से लल्लू सिंह ही प्रत्याशी हो सकते हैं ,हालांकि इस बार विनय कटियार का नाम भी तेज़ी से चल रहा है लें धरातल पर कोई सक्रियता नज़र नहीं आ रही है ,वही सपा बसपा गठबंधन की शर्तों के मुताबिक़ ये सीट सपा के हिस्से में है ,ऐसे में इस सीट से सपा बसपा गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में तेज नारायण पांडे पवन का नाम आगे है ,वहीँ फैजाबाद के पूर्व सांसद रहे स्वर्गीय मित्रसेन यादव के बेटे आनंद सेन यादव भी टिकट की दौड़ में हैं।