योगी आदित्यनाथ सरकार ने 2017 में भगवान श्रीराम की मूर्ति लगाने की प्रोजेक्ट की घोषणा की थी। लेकिन, अब तक इस दिशा में पहला चरण भी पूरा नहीं हो सका है। अयोध्या शहर की सीमा से पांच किमी दूर माझा बरहटा गांव में अब जिस जमीन का अधिग्रहण किया जाना है वहां के निवासियों का आरोप है कि उनकी जमीनें धोखे से महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट को हस्तांतरित कर दी गयी है। जबकि वे यहां चार पीढिय़ों से काबिज हैं। करीब 150 साल पहले उनके पूर्वज यहां बसे। अब उन्हें बेदखल किया जा रहा है।
85 हेक्टेयर भूमि पर लगेगी मूर्ति अयोध्या के जिला मजिस्ट्रेट अनुज कुमार झा ने सदर तहसील के माझा बरहटा में 85 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी कर दी है। इस गांव में करीब आठ बस्तियां हैंं। जिनकी लगभग दो हजार आबादी है। ग्रामीणों का कहना है वे भले ही यहां चार पीढिय़ों से काबिज हैं और उनके पास आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र हैं लेकिन अधिगृहीत की जाने वाली जमीन के दस्तावेज नहीं हैं। इसकी वजह यह है कि 1952 के बाद से यहां चकबंदी नहीं हुई। इस बीच सरयू की धारा बदल जाने से जमीन कहीं सरयू के कटान तो कहीं उसकी तलहटी में चली गयी। इसके बाद यह गांव नगर निगम में आ गया। इसलिए जमीनी हक का विवाद पचड़े में फंसा है।
रामायण विद्यापीठ के नाम दस्तावेज माझा बरहटा गांव के पूर्व ग्राम प्रधान राम प्रताप उर्फ लड्डू लाल बताते हैं कि आजादी से पहले अंग्रेजों के समय में माझा बरहटा गांव की भूमि अयोध्या के राजा की जागीर थी। सीलिंग एक्ट के बाद, राजा ने इस जमीन को अपने नौकरों के नाम पर भूमि रिकॉर्ड में स्थानांतरित कर दिया। 1990 में महर्षि महेश योगी के ट्रस्ट महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट ने इन्हीं लोगों से जमीन खरीद ली। लेकिन, आज तक ट्रस्ट यहां कब्जा नहीं लेे सका। चकबंदी होती तो आबादी आदि की जमीन जो काबिज हैं उन्हें उनका दस्तावेजी प्रमाण मिल जाता।
15 दिन के भीतर छोडऩी होगी जमीन चकबंदी अधिकारी तरुण कुमार कहते हैं माझा बरहटा गांव में आज तक चकबंदी नहीं हुई। अब यह गांव नगर निगम में शामिल है। ऐसे में चकबंदी भी नहीं हो सकती। विवाद की असली वजह यही है। गांव के 259 भूखंडों के अधिग्रहण की अधिसूचना जारी हुई है। इसमें 174 भूखंड महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट के नाम से पंजीकृत हैं। यह ट्रस्ट महर्षि महेश योगी की संस्था है। लोगों से आपत्तियां मांगी गयी हैं। भूमि के असली मालिकों को 15 दिनों के भीतर आपत्तियां देनी होंगी। जो अनाधिकृत तरीके से काबिज हैं उन्हें जमीन छोडऩी होगी।
बरहटा पर राजनीति भी शुरू माझा बरहटा को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। सपा सरकार में पूर्व मंत्री और अयोध्या के पूर्व विधायक तेज नारायण पांडे ने बुधवार को ग्रामीणों से मुलाकात की। उन्होंने सरकार से मांग की कि भूमि अधिग्रहण से पहले चार पीढिय़ों से रह रहे लोगों को भूस्वामी व भवन स्वामी बनाया जाए। इसके बाद उचित मुआवजा देकर जमीन ली जाए। उन्होंने मौके पर पहुंचे रेजीडेंट मजिस्ट्रेट एसडी शर्मा को इस संबंध में एक ज्ञापन भी दिया।
मीरापुर ढाबा में भी हुआ था विवाद इससे पूर्व मीरापुर ढाबा में श्रीराम की मूर्ति लगाने के लिए भूमि चिन्हित की गयी थी। यहां भी मुआवजे को लेकर स्थानीय विरोध हुआ। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। कुछ को मुआवजा भी बंटा। इसके बाद भूमि संरक्षण समिति ने भूमि को उचित नहीं बताया। इसके बाद इस स्थल को छोडकऱ बरहटा में जमीन तलाशी गयी। अब यहां भी विवाद शुरू हो गया है। ऐसे में पूर्व निर्धारित समय सीमा में काम पूरा होना मुश्किल लग रहा है।
मुस्लिमों के मस्जिद के लिए तीन प्लाट की पेशकश केंद्रीय गृह मंत्रालय अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के गठन तथा मस्जिद के लिए जमीन देने की एक सप्ताह के भीतर घोषणा कर सकता है। बताया जाता है कि प्रस्ताव मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाएगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल की स्वीकृति मिलने के बाद ट्रस्ट निर्माण की घोषणा और मस्जिद के लिए पांच एकड़ का प्लॉट देने की पेशकश कर दी जाएगी। एक अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड को तीन प्लॉट की पेशकश की जाएगी, ताकि वह उपयुक्त प्लॉट चुन सके।