मकर संक्रांति हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में एक है। आज मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण आ जाता है और देवताओं का दिन प्रारंभ हो जाता है। अयोध्या के मंदिरों में देवी देवताओं को भोग में खिचड़ी खिलाई जाती है और श्रद्धालु भगवान के सामने भजन करते है। पौराणिक मान्यताओं और हिन्दू धर्म शास्त्रों के मुताबिक मकर संक्रांति के दिन से देवताओं का दिन प्रारम्भ होता है जो कि हिंदी महीने के आषाढ़ मास पर समाप्त होता है। आज ही के दिन सूर्य भ्रमण करते हुए धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते है जिसके कारण इस तिथि को मकर संक्रांति के रूप में जाना जाता है। मकर संक्रांति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति प्रारम्भ हो जाती है।
सूर्य की इस दशा में आने का इतना बड़ा महत्व है कि महाभारत काल में बाण शैय्या पर पड़े पितामह भीष्म ने इच्छा मृत्यु के वरदान के कारण सूर्य के उत्तरायण में होने की प्रतीक्षा की थी मान्यता है कि उत्तरायण में मृत्यु होने पर मोक्ष की प्राप्ति का योग रहता है। जिसके चलते मकर संक्रांति की तिथि को बेहद पवित्र माना जाता है। आज खिचड़ी का भी बड़ा महत्व माना जाता है।
भगवान को खिचड़ी खिलाने के बाद लोग घरों में खिचड़ी बनाते है। पांडा समाज के अध्यक्ष ओम प्रकाश पाण्डेय ने बताया कि आज मकर संक्रांति है कल सायंकाल 7.30 पर लग गया है संक्रांति के दिन जब सूर्य उत्तरायण आ जाते है तो देवताओं का दिन आ जाता है तथा अब राक्षसों का रात है और देवताओं का दिन है आज के बाद से सभी शुभ कार्य किया जा सकता है। घरो में होने वाले सभी शुभ कार्य शुरू हो जाता है।
अयोध्या आये श्रद्धालु उमा ने बताया कि आज हम लोग सरयू में स्नान करके खिचड़ी का दान किये तथा मंदिरों में पूजा पाठ कर भगवन को भी खिचड़ी का भोग लगा कर प्रसाद के रूप में खिचड़ी खायेंगे।