मकर संक्रांति का पर्व मनाने के पीछे क्या है धार्मिक कारण पौराणिक मान्यताओं और हिन्दू धर्म शाश्त्रो के मुताबिक़ मकर संक्रांति के दिन से देवताओं का दिन प्रारम्भ होता है जो की हिंदी महीने के आसाढ़ मास पर समाप्त होता है, आज ही के दिन सूर्य भ्रमण करते हुए धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते है जिसके कारण इस तिथि को मकर संक्रांति के रूप में जाना जाता है,मकर संक्रांति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति प्रारम्भ हो जाती है,सूर्य की इस दशा में आने का इतना बड़ा महत्वा है की महाभारत काल में बाण शैय्या पर पड़े पितामह भीष्म ने इच्छा मृत्यु के वरदान के कारण सूर्य के उत्तरायण में होने की प्रतीक्षा की थी मान्यता है कि उत्तरायण में मृत्यु होने पर मोक्ष की प्राप्ति का योग रहता है,जिसके चलते मकर संक्रांति की तिथि को बेहद पवित्र माना जाता है |
मकर संक्रांति पर खिचड़ी दान करने से दूर होती है दरिद्रता मकर संक्रांति की पावन तिथि को पवित्र नदियों में स्नान एवं गुड़ व तिल के सेवन से शरीर ऊर्जावान होता है और खिचड़ी के दान से दरिद्रता से मुक्ति मिलती है और सदियों से चली आ रही इस परम्परा का निर्वहन अनवरत रूप से जारी है | इसी कड़ी में रामनगरी अयोध्या के सरयू तट के किनारे भी अलसुबह घने कोहरे के बीच बड़ी संख्या में स्नानार्थी घाटो के किनारे पहुचे और पवित्र सरयू के जल में पूरी आस्था के साथ पुण्य की डुबकियां लगाई |