श्री श्री रविशंकर को किसने कहा मध्यस्तता करने को – हाजी महबूब ,बाबरी मामले के पैरोकार बाबरी मस्जिद मामले के पैरोकार हाजी महबूब ने पत्रिका टीम से बात करते हुए कहा कि रविशंकर जी एक अच्छे इंसान हैं लोग उनकी इज्जत करते हैं मैं भी उनकी इज्जत करता हूं लेकिन सवाल यह है कि मैं किस से बात करूं वह पार्टी तो है नहीं या उनसे किसने कहा कि उनकी बात हर कोई मानेगा ,उन्हें पहले हिंदू पक्ष से बात करनी चाहिए उसके बाद वह हमसे बात करें . हम बात करने को तैयार हैं भी हैं लेकिन इस मसले का फैसला अदालत करेगी हमें अदालत के फैसले पर भरोसा है . 5 दिसंबर से इस मामले पर सुनवाई शुरू होगी . सुलह समझौते के सवाल पर हाजी महबूब ने कहा कि या तो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या प्रदेश के मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ इस मामले पर अगर कुछ बात करें तब कुछ वजन पैदा होता है आम जनता इस मुकदमे का फैसला कैसे कर सकती है . जब वक्त आएगा तो हम जरूर बात करेंगे,अगर उन्हें बात करनी है तो आकर मिले हम जाकर क्यों बात करें ,हम बातचीत करने में पीछे नहीं हैं हम खुद ही चाहते हैं हिंदुस्तान में अमन चैन से इस मसले का हल हो जाए और कोई टकराव ना हो .
मुस्लिम से ज्यादा हिन्दू पक्षकार हैं मुकदमे में पहले उनसे बात करें श्री श्री रविशंकर -इकबाल अंसारी -मुद्दई बाबरी मस्जिद वहीँ इस मामले के मुद्दई रहे हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल अंसारी ने कहा कि रविशंकर जी इस मामले के हल के लिए अगर प्रयास कर रहे हैं यह अच्छी बात है, इसके लिए रविशंकर जी को सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड से बात करनी चाहिए अगर दोनों पक्ष मिलजुल कर मामले को हल कर ले तो यह अच्छी बात है ,लेकिन रविशंकर जी को पहले हिंदू पक्षकारों से भी बातचीत कर लेनी चाहिए क्यूँ कि इस मुकदमे में मुस्लिम पक्षकारों की संख्या कम है हिंदू पक्षकारों की संख्या ज्यादा है .
सिर्फ टीवी पर बयान देने से नहीं चलेगा काम कुछ नहीं कर पायेंगे रविशंकर -महंत धर्म दास ,राम जन्म भूमि मामले के पक्षकार राम जन्मभूमि मुक़दमे के मुख्या पक्षकार महंत धर्मदास ने कहा कि अगर राम जन्मभूमि के निर्माण के लिए कोई भी आगे आता है तो हम उसका स्वागत करेंगे ,लेकिन इसके लिए जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट के जज या सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कोई व्यक्ति आकर मध्यस्तता करें तो बेहतर है . आखिर आध्यात्मिक गुरु रविशंकर कैसे इस मामले पर कोई समझौता करा सकते हैं बिना न्यायालय के दखल और सरकार के प्रयास के ,यह प्रयास अधूरा है क्योंकि पूरा मामला कोर्ट में है इसलिए कोर्ट से बाहर किसी भी बातचीत का कोई अर्थ नहीं है जब तक दोनों पक्ष अपनी बात को न्यायालय में ना रखें .सबसे अच्छी बात यही होती कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित प्रतिनिधि दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों की बात सुनकर मध्यस्थता कर विवाद का हल कराएं .सिर्फ टीवी पर बयान देने से राम जन्मभूमि का मुकदमा हल नहीं होगा जिसे इस मुकदमे के हल कराने की चिंता है उसे अयोध्या आना होगा सिर्फ बयानबाजी से काम नहीं चलेगा .