अयोध्या में आज पक्षकारों ने एक महत्वपूर्ण बैठक के बाद राष्ट्रपति को ज्ञापित पत्र भेजा हैं इस पत्र में साफ लिखा गया हैं माननीय उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली में लंबित बाबरी मस्जिद प्रणाम राम जन्मभूमि अयोध्या प्रकरण निस्तारण हेतु विशेष पीठ का गठन किये जाने को लेकर बताया गया हैं इसके साथ इस पत्र में बताया गया हैं कि मुकदमे के निस्तारण के लिए भारत के दो प्रमुख समुदायों के लोगों की आस्था टिकी हुई है और न्यायपालिका इस मुकदमे का निस्तारण में अनायास मनमाने तरीके से विलंब कर रही है जिसके लिए मुख्य रूप से न्यायपालिका को ही दोषी ठहराया जाना चाहिए इसमें इस मुकदमे निस्तारण अविलंब रूप से किया जाए जैसे देश में आम जनता में अफरा-तफरी ना हो सके इसका परिणाम भारत के मंत्रियों से भी जूझना पड़ सकता है जिसके लिए न्यायपालिका को ही समय अपने कर्तव्य के निर्वहन करने का दोषी भी माना जा सकता है एवं माना जाना चाहिए था समय काल एवं परिस्थिति को दृष्टिगत रखते हुए इस मुकदमे का विलम निस्तारण हेतु एक विशेष न्याय पीठ का गठन किया जाने को लेकर दर्शाया गया है.
धर्म दास ने बताया कि इस पत्र के माध्यम से महामहिम से निवेदन किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट में किए गए सुनवाई एक नई बेंच बनाकर की जाए जिससे लगातार सुनवाई हो पूर्व में जिस तरह से इस मामले को लेकर अंधता जाहिर किया गया है देश की जनता काफी नाराज है इसलिए इस पत्र के माध्यम से नए बैंक की सुनवाई के साथ इस मामले की को देखा जाए ताकि जिस जनता के बीच में किसी प्रकार का भ्रम ना पैदा हो सके मानधन दास ने बताया कि महामहिम राष्ट्रपति को पत्र के माध्यम से निवेदन किया गया है अगर यह निवेदन स्वीकार नहीं होगा तो जनवरी में शुरू होने वाली सुनवाई के पहले महामहिम राष्ट्रपति से मिलने दिल्ली जाएंगे.
मोहम्मद इकबाल अंसारी ने बताया कि आज राष्ट्रपति को भेजे गए पत्र में किसी सुलह समझौते की कोई जिक्र नहीं किया गया है इसमें सिर्फ एक ज्ञापन के रूप में इस मामले की सुनवाई को लगातार कर हल जल्द से जल्द किए जाने की मांग की गई है तथा बताया कि इस कार्रवाई को लेकर महंत धर्मदास के साथ दो दिन पहले ही बैठक किया गया था जिसके बाद आज इस पत्र को राष्ट्रपति के नाम भेजा गया है.