इस मामले पर जफरयाब जिलानी ने बताया कि तीन पक्षकारों मौलाना महफूजुर्रहमान, मोहम्मद उमर और मिसबाहुद्दीन की ओर से दी जाने वाली याचिकाओं की पैरोकारी आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड करेगा। जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से एक पुनर्विचार याचिका अलग से दायर होगी। इस तरह बाबरी मस्जिद की जमीन के लिए मुस्लिम पक्ष की ओर से कुल चार पुनर्विचार याचिकाएं दायर होंगी।
जिलानी ने कहा कि इन तीन वादी पक्षकारों के अलावा हाजी अब्दुल अहमद के बेटे मोहम्मद सगीर और हसबुल्लाह उर्फ बादशाह प्रतिवादी हैं। जरूरत पड़ी तो उनकी तरफ से भी पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी। इस बारे में फैसला डॉ. राजीव धवन एडवोकेट से विस्तृत विचार-विमर्श के बाद ही लिया जाएगा।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष के पास पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए 9 दिसंबर तक का समय है। उम्मीद है कि पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए अगले कुछ ही दिनों में नई दिल्ली में डॉ. राजीव धवन एडवोकेट के साथ विचार-विमर्श होगा और उनसे सभी कानूनी पहलुओं पर राय लेने के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।