scriptराम जन्मभूमि परिसर में दिखाई देगा राम के एक सौ स्वरूप | One hundred forms of Ram will be seen in the Ram Janmabhoomi complex | Patrika News

राम जन्मभूमि परिसर में दिखाई देगा राम के एक सौ स्वरूप

locationअयोध्याPublished: Nov 17, 2019 11:58:59 am

Submitted by:

Satya Prakash

रामसेवकपुरम में राम कथा कुंज के लिए रामायण के प्रसंगों पर मूर्तियों के बनाने का कार्य तेज जल्द बढ़ाये जाएंगे और मूर्तिकार

राम जन्मभूमि परिसर में दिखाई देगा राम के एक सौ स्वरूप

राम जन्मभूमि परिसर में दिखाई देगा राम के एक सौ स्वरूप

अयोध्या : राम जन्मभूमि मंदिर को लेकर देश की राजधानी नई दिल्ली में ट्रस्ट बनाने की कवायद जोर पकड़ रही है तो वहीं अयोध्या के राम कथाकुंज के मूर्तिकारों के हाथों की हरकत तेज है। प्रस्तावित राम जन्मभूमि परिसर में न केवल रामलला के भव्य मंदिर का निर्माण होगा बल्कि उनके राम के जीवन चरित को शाश्वत रूप में दर्शनीय बनाने के लिए मूर्तियों को निखारा जा रहा है। कारसेवकपुरम के निकट बने रामकथा कुंज में श्रीराम के जीवन से जुड़े एक सौ मूर्तियों को तैयार किया जा रहा है।
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जीवन चरित को इस तरह से व्यवस्थित किया गया है कि मात्र 30 से 45 मिनट में बेहद आसानी से समझ पाएगा। इसका आरंभ पुत्रयेष्टि यज्ञ का साथ शुरू होगा और फिर लालन—पालन, केवट प्रसंग, अहिल्या उद्धार, सीताहरण, हनुमान मिलाप, रामसेतु निर्माण, रावण वध होते हुए अयोध्या में श्रीराम राज्याभिषेक के साथ कथा पूरी करेगा। गौरतलब है कि रामचरित मानस के वाचन में कम से कम 24 घंटे लगते हैं। ऐसे में यह दृश्य श्रद्धालुओं और श्रीराम के जीवन में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए श्रेयकर होगा।
अशोक सिंघल की थी आकांक्षा

मंदिर के मॉडल के साथ—साथ परिसर को किस तरह से भव्य बनाया जाए। इसे लेकर स्वर्गीय विहिप अध्यक्ष अशोक सिंघल कई विचार रखते थे। इन्हीं विचारों में से एक यह था कि देश—विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को दर्शन के दौरान ही किस तरह से राम के चरित से परचित कराया जाए। इसके बाद 1997 में एक यात्रा के दौरान उनकी मुलाकात मूर्तिकार रंजीत मंडल से होती है और फिर 2013 में रंजीत मंडल को अयोध्या में बुलाकर राम के चरित्र से संबंध एक सौ मूर्तियां बनाने का कार्य सौंप दिया जाता है।
सीताहरण तक मूर्तियां हुई तैयार

रामकथा कुंज में मूर्ति बना रहे रंजीत मंडल बताते हैं कि वह अपने पिता के साथ 2013 से यहां काम कर रहे हैं और अब तक पुत्रयेष्टि यज्ञ से लेकर सीता हरण तक के प्रसंग की मूतियां तैयार कर ली गईं। हालांकि अभी रंगरोगन का काम काफी बाकी है। वह बताते हैं अगर इसी तरह काम चला तो करीब चार से पांच साल लग जाएंगे लेकिन तेजी से काम करने के लिए मूर्तिकारों को बढ़ा दिया जाए तो यह कार्य डेढ़ से दो साल में ही पूरा हो जाएगा।
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