अशोक सिंघल की थी आकांक्षा मंदिर के मॉडल के साथ—साथ परिसर को किस तरह से भव्य बनाया जाए। इसे लेकर स्वर्गीय विहिप अध्यक्ष अशोक सिंघल कई विचार रखते थे। इन्हीं विचारों में से एक यह था कि देश—विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को दर्शन के दौरान ही किस तरह से राम के चरित से परचित कराया जाए। इसके बाद 1997 में एक यात्रा के दौरान उनकी मुलाकात मूर्तिकार रंजीत मंडल से होती है और फिर 2013 में रंजीत मंडल को अयोध्या में बुलाकर राम के चरित्र से संबंध एक सौ मूर्तियां बनाने का कार्य सौंप दिया जाता है।
सीताहरण तक मूर्तियां हुई तैयार रामकथा कुंज में मूर्ति बना रहे रंजीत मंडल बताते हैं कि वह अपने पिता के साथ 2013 से यहां काम कर रहे हैं और अब तक पुत्रयेष्टि यज्ञ से लेकर सीता हरण तक के प्रसंग की मूतियां तैयार कर ली गईं। हालांकि अभी रंगरोगन का काम काफी बाकी है। वह बताते हैं अगर इसी तरह काम चला तो करीब चार से पांच साल लग जाएंगे लेकिन तेजी से काम करने के लिए मूर्तिकारों को बढ़ा दिया जाए तो यह कार्य डेढ़ से दो साल में ही पूरा हो जाएगा।