scriptगया जाकर नही कर सकते अपने पूर्वजों का पिंडदान तो यहाँ आकार करें श्राद्ध मिलेगा मोक्ष का फल | Pinda Dan Jal tarpan On Pitra paksh In Ayodhya News In Hindi | Patrika News

गया जाकर नही कर सकते अपने पूर्वजों का पिंडदान तो यहाँ आकार करें श्राद्ध मिलेगा मोक्ष का फल

locationअयोध्याPublished: Sep 09, 2017 02:38:57 pm

भगवान श्री राम ने भी अयोध्या के इस स्थान पर किया था पिंडदान

Pinda Dan Jal tarpan On Pitra paksh In Ayodhya News In Hindi
अयोध्या . मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की नगरी में वैसे तो वर्ष भर पर्व त्यौहार के मौके पर मांगलिक अनुष्ठान होते रहते हैं लेकिन पितृ पक्ष के मौके पर भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या में हजारों की संख्या में श्रद्धालु अपने पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति के लिए श्राद्ध और तर्पण करने के उद्देश्य से आते हैं . पित्र पक्ष पर वैसे तो गया में तर्पण और श्राद्ध का महत्व माना जता है लेकिन पौराणिक कथाओं में कही गयी बातों के अनुसार धार्मिक नगरी अयोध्या में भी जल तर्पण और श्राद्ध करने से पूर्वजों की आत्मा को शान्ति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है . इसी मनोकामना को लेकर लाखों की संख्या में पिंड दानी अपने दिवंगत माता पिता और अपने पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के लिए अयोध्या आते हैं . पितृ पक्ष के 15 अयोध्या के किनारे बहने वाली पवित्र सरयू नदी के तट पर मेले जैसा माहौल रहता है और लाखों की संख्या में पिंडदानी श्राद्ध कर्म और जल तर्पण का कर्मकांड सरयू तट के किनारे करते हैं .
भगवान श्री राम ने भी अयोध्या के इस स्थान पर किया था पिंडदान

पौराणिक मान्यता के अनुसार अयोध्या में सरयू तट के किनारे पित्रो को जल से तर्पण तथा घाटों के किनारे ब्राह्मणों का भोजन कराकर श्राद्ध करने से पूर्वजो की आत्मा को शान्ति तथा परिवार को अधिक लाभ होता है . आचार्य हरिदयाल शास्त्री ने बताया कि दिवंगात पिता माता की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया जाता है अयोध्या में दो प्रमुख ऐसे स्थान भरतकुंड व सहस्त्रधारा लक्ष्मण घाट हैं . इस स्थान पर पिण्ड दान करने से पूर्वजो को शान्ति मिलती है . इस घाट पर पिण्ड दान करने से अपने पूर्वज को प्रेतयोनि से मुक्त कर होकर पृत्रयोनि में जाते हैं जो कि हमारे परिवार की रक्षा भी करते हैं. हरिदयाल शास्त्री ने बताया कि शादी विवाह में भी नंदी श्राद्ध पहले होती है श्रद्धा से श्राद शब्द जुड़ा है इसलिए जो श्रद्धा से तर्पण पिंडदान करते हैं उनके पूर्वजों की आत्मा को शान्ति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है . सहस्त्रधारा लक्ष्मण घाट के पास ही भगवान लक्ष्मण ने अपना प्राण त्यागा था जब भगवान श्री राम को मालूम हुआ कि लक्ष्मण ने अपने प्राण त्याग दिया तो भगवान् श्री राम वहां पर गए और वहां पर गुरु वशिष्ठ ने ही कहा कि अब इनका शरीर तो नहीं है लेकिन अब उनकी आत्मा की शांति के लिए पिंड दान करिए साथ ही उन्होंने यह भी कहा की आज से जो भी व्यक्ति इस स्थान पर पिंडदान करेगा उसके पूर्वजों की आत्मा की शांति मिलेगी और वह सीधे स्वर्ग में प्रस्थान करेंगे ।
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