इससे पूर्व प्रातः श्रीराम गौशाला मे गऊवंश का वेद विद्यालय प्रधानाचार्य इंद्रदेव मिश्र तथा आचार्य दुर्गाप्रसाद गौतम ने वैदिक मंत्रोंचारण से पूजन कराया।इस दौरान सांसद ने गौ सेवकों को सम्मानित करते हुये गौशाला को इक्यावन हजार रूपए का दान भी किया अपने संबोधन मे सांसद ने कहा गो आधारित कृषि ही ग्राम स्वालंबन के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।इसीलिए पूर्वजो ने गौ की महिमा मंडित करते हुए गाय को माता का स्थान दिया। गाय को धर्म में इस तरह गूंथ दिया की भारत के उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम क्षेत्र में अनेक धार्मिक मत-मतोतरों के होते हुए भी गाय को सभी ने पूज्यनीय माना। उन्होने कहा भगवान श्रीकृष्ण भी गाय की सेवा करके गोपाल, गोविन्द आदि नामों से पुकारे गये। जब तक गौ आधारित स्वावलंबी खेती होती रही तब तक भारत विकसित धनवान राष्ट्र रहा, यहाँ की सम्पदा के लालच में ही विदेशी भारत पर आक्रमण करते रहे। उन्होने कहा सेवा समर्पण की भावनाओ से ही समाज मे जागरण,गौरक्षण संवर्धन के साथ राष्ट्र की विभिन्न समस्याओं का निर्मूलन होगा और भारत को एक सूत्र मे निरूपित करने मे सहायक सिद्ध होगा।
अपने संबोधन मे केन्द्रीय सलाहकार सदस्य तथा गौशाला प्रबंधक पुरूषोत्तम नारायण सिंह ने कहा गाँव में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए तथा कृषकों की आय में वृद्धि के लिए हमें पुन: गौ आधारित स्वावलंबी कृषि की ओर वापस जाना होगा। बदले हुए हालात में आज कम से कम गाय के दूध का उत्पादन बढ़ाकर तथा गोबर व गौमूत्र की प्रयोग से रासायनिक खाद व कीटनाशकों पर होने वाले खर्च व गौमूत्र के प्रयोग से रासायनिक खाद व कीटनाशकों पर होने वाले खर्च को बचाकर ग्राम लक्ष्मी(गौ) का पुन: आह्वान किया जा सकता है। उन्होने कहा प्रधान सेवक के जन्मोत्सव सप्ताह के अंतर्गत आयोजित गौ पूजन कार्यक्रम से देश मे गौ पालन के प्रति निष्ठा बढेगी।
विहिप के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज ने कहा विभिन्न देशों की गायों के दूध उत्पादन के आंकड़ों को देखकर ऐसा लगा कि विकसित राष्ट्रों के गायों का दूध उत्पादन विकासशील देशों की गायों के दूध उत्पादन से कई गुना अधिक है। उदाहरण के लिए इजरायल में 9000 लीटर, अमेरिका में 7000 लीटर, हॉलैंड एवं जर्मनी में 6000 लीटर, जापान में 3000 लीटर दूध एक गाय एक समय में देती है जबकि भारत की एक गाय का औसत दूध उत्पदान विकास का पैमाना है। पंजाब, गुजरात, की गायें अधिक दुधारू हैं, ये प्रदेश भी विकसित हैं। म. प्र. में मालवा, निमाड़, मुरैना का गौधन दुधारू है अत: इन क्षेत्रों का किसान भी सम्पन्न है। इससे स्पष्ट है कि एक समय में गाय का दूध जितना अधिक होगा, उतना ही सम्पन्न किसान, प्रदेश और राष्ट्र होगा।