राजनीतिक भावना पर लग रहे आरोप राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि ने जानकारी देते हुए बताया कि ये आरोप निरर्थक है ट्रस्ट द्वारा जो भी कार्य किया गया वह सब कागजों में दर्ज है। इसमें किसी प्रकार की बेमानी साबित नहीं हो रही है सिर्फ राजनीतिक दुर्भावना के तहत इस प्रकार के आरोप मढ़े जा रहे हैं। यह सब बेकार की बाते है। वहीं कहा कि चम्पतराय बहुत स्वच्छ व्यक्ति है। परिसर के विस्तार के लिए पहले ही निर्णय लिया गया था। जिसमे किसी व्यक्ति के साथ कोई दुर्व्यवहार भी न हो इसके लिए अन्य भूमि अधिग्रहण से पहले उन स्थानों पर रहने वालों को अयोध्या में ही दूसरी जगह स्थापित करने के बाद हटाया जाएगा। जिसके लिए भूमि को खरीदारी की जा रही है।
2022 में चुनाव को लेकर श्री रामलला पर सॉफ्ट टारगेट वहीं ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल ने बताया विपक्षी शायद चंपत राय का पुराना इतिहास नहीं जानते हैं । उन्होंने पूरे मामले को राजनीतिक बताया और कहा यह केवल 2022 के विधानसभा चुनाव का तैयारी मात्र है। उन्होंने बताया अभी कुछ दिन पूर्व विपक्षी सभी पार्टियों की संयुक्त बैठक हुई थी। जिसमें बीजेपी को घेरने के लिए मोर्चा बनाया गया है। उसी के बाद गाजियाबाद में सांप्रदायिक दंगा फैलाने की साजिश और श्रीराम को सॉफ्ट टारगेट बनाने पर रणनीति तय की गई है । क्योंकि पार्टियों को लगता है बीजेपी के लिए इस बार अयोध्या ही केंद्र बिंदु होगा। इसलिए अयोध्या के नींव में ही कुछ डालने की कोशिश कर रहे हैं।
ट्रस्टियों के सहमति पर खरीदी गई जमीन कामेश्वर चौपाल के मुताबिक जनवरी माह में ही ट्रस्ट की बैठक में वास्तु शास्त्र के विशेषज्ञों ने मंदिर की परिकल्पना को दोषपूर्ण बताया था। क्योंकि मंदिर का ईशान कोण धंसा हुआ था। साथ ही मंदिर के बाद परकोटा और खाली स्पेस की भी जरूरत पड़ती है। इसलिए ट्रस्ट ने आसपास के लोगों से सहमति के आधार पर क्रय करके उन्हें अन्यत्र बसाने के लिए जमीन क्रय का कार्य शुरू किया गया है। जिसका काम स्थानीय ट्रस्टीयों को सौंपा गया है। उन्होंने बताया जमीन की खरीद-फरोख्त में पूरी पारदर्शिता बरती गई है। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय सहित सभी लोगों ने इसी मंदिर के लिए अपनी पूरी जवानी लगा दी और पुरखों ने 500 वर्षों तक बलिदान दिया है। आरोप लगाने वालों को इस बात की जानकारी भी होनी चाहिए।