अयोध्या

राममंदिर के पक्षकार सुप्रीम कोर्ट के वकील के. परासरण का अयोध्या में होगा सम्मान, रामलला का करेंगे दर्शन

राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अयोध्या के विहिप मुख्यालय कारसेवकपुरम में इस विवाद से जुड़े सभी अधिवक्ताओं का 23 नवंबर को जमावड़ा लगेगा।

अयोध्याNov 20, 2019 / 06:18 pm

Abhishek Gupta

K Parasaran

अयोध्या. राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अयोध्या के विहिप मुख्यालय कारसेवकपुरम में इस विवाद से जुड़े सभी अधिवक्ताओं का 23 नवंबर को जमावड़ा लगेगा। इसमें मुख्य रूप से अयोध्या विवाद में रामलला विराजमान के वकील रहे के परासरण व उनके वकील की पूरी टीम को सम्मान दिया जाएगा। इंडियर बार के पितामाह कहे जाने वाले के परासरण अपने पूरे परिवार के साथ 23 नवम्बर को अयोध्या आएंगे व रामलला के दर्शन भी करेंगे।
परासरण के परिवार के 18 लोग आएंगे अयोध्या-
92 वर्षीय के. परासरण अपने परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ 23 नवंबर को अयोध्या आएंगे। उनके साथ उनकी बेटी, बेटे व नाती-पोते समेत परिवार के दूसरे सदस्य भी मौजूद रहेंगे। कुल मिलाकर उनके परिवार के 18 लोग अयोध्या आ रहे हैं। के परासरण के पुत्र और पूर्व सॉलिसिटर जनरल मोहन परासरण भी अयोध्या साथ आ रहे हैं।
कई मंत्रियों को भी किया गया आमंत्रित-
राम जन्मभूमि पर उच्चतम न्यायालय का फैसला देश ही नहीं बल्कि विश्व का सबसे बड़ा फैसला रहा है। यह विवाद 29 वर्षों में लोवर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सैकड़ों अधिवक्ताओं नेअपनी-अपनी दलीलें व सबूत पेश किए जिसके बाद आखिरकार राम मंदिर के पक्ष में फैसला आया है। इसको लेकर विश्व हिंदू परिषद सभी अधिवक्ताओं को सम्मानित करेगी। वहीं सुप्रीम कोर्ट के वकील के परासरण के नेतृत्व में अधिवक्ताओं का दल रामलला का दर्शन करेगी। विश्व हिंदू परिषद ने कई शीर्ष नेताओं को भी आमंत्रण भेजा गया है, जिसमें भाजपा उपाध्यक्ष भूपेंद्र, केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी, साध्वी ऋतंभरा पहुंचेंगे। साथ ही उमा भारती, कल्याण सिंह के आने की भी संभावनाएं हैं। कार्यक्रम की जानकारी देते हुए क्षेत्रीय संगठन मंत्री अमरीश चंद्र ने बताया कि 23 नवंबर को फैसले को लेकर सभी अधिवक्ता एवं राम मंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों को आमंत्रित किया गया है।
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राम मंदिर किसी सरकार के अधीन नहीं होगा- अमरीश चंद्र
अमरीश चंद्र ने कहा कि अयोध्या भगवान श्री राम की जन्मभूमि है, इसे गलत साबित नहीं किया जा सकता है। लेकिन आज जिस प्रकार से वर्षों से राम जन्म भूमि को लेकर विवाद चल रहा था, उसके बाद राम जन्मभूमि के पक्ष में अधिवक्ताओं के कठिन परिश्रम से ही कोर्ट ने फैसला दिया है। उन्होंने आगे कहा कि मंदिर विवाद को लेकर किसी संगठन ने नहीं बल्कि हिंदू समाज ने लड़ाई लड़ी है। इसमें हिंदू समाज को ही प्रतिनिधित्व का अधिकार है। आज राष्ट्रीय स्वाभिमान की पूर्ण आहुति हुई है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सरकार द्वारा बनाए जाने वाले ट्रस्ट को लेकर कहा कि यह राम मंदिर किसी सरकार के अधीन नहीं होगा। सरकार को सिर्फ ट्रस्ट के स्वरूप को तैयार करने के लिए दिया गया है।वहीं बताया कि 23 नवंबर को फैसले को लेकर सभी अधिवक्ता एवं राम मंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों को आमंत्रित किया गया है।
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